रायगढ़, 12 नवम्बर 2022/ नेशनल लोक अदालत, जो इस बार विशेष हाईब्रीड लोक अदालत के रूप में वर्चुअल एवं फिजिकल दोनों माध्यमों से जिला न्यायालय रायगढ़ सहित तहसील न्यायालय सारंगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़ एवं खरसिया में आयोजित किया गया। जिला एवं तहसील न्यायालयों को मिलाकर कुल 21 खण्डपीठों का गठन किया गया। श्रम न्यायालय एवं किशोर न्याय बोर्ड का भी खण्डपीठ गठन किया गया। रायगढ़ एवं सारंगढ़-बिलाईगढ़ के राजस्व न्यायालयों में भी खण्डपीठों का गठन किया गया।
जिला एवं तहसील न्यायालयों में विभिन्न प्रकृति के राजीनामा योग्य मामले जैसे-मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, बैंक वसूली के प्रकरण, आपराधिक मामले, विद्युत मामले, श्रम विवाद, पारिवारिक विवाद, चेक अनादरण, सिविल मामले के साथ-साथ आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 एवं अन्य छोटे अपराधों के मामले, जिसमें यातायात उल्लंघन के मामलों को भी शामिल करते हुए खण्डपीठों में लंबित प्रकरण 1879 एवं प्रीलिटिगेशन प्रकरण 15282 को राजीनामा के आधार पर निराकरण हेतु लोक अदालत में रखा गया।
रखे गये कुल 17161 प्रकरणों में से लंबित 1391 एवं प्रीलिटिगेशन 4660 प्रकरण निराकृत हुये। इस प्रकार कुल 6051 प्रकरणों का निराकरण, जिला न्यायालय, परिवार न्यायालय, श्रम न्यायालय, किशोर न्याय बोर्ड, रायगढ़ एवं तहसील स्थित ब्यवहार न्यायालय सारंगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़ एवं खरसिया न्यायालय में राजीनामा के आधार पर किया गया और उन प्रकरणा़ें के अंतर्गत कुल 2 करोड़ 11 लाख 53 हजार 958 रूपये का सेटलमेंट हुआ।
राजस्व न्यायालयों में खातेदारों के मध्य आपसी बंटवारे के मामले, वारिसों के मध्य बंटवारे के मामले, कब्जे के आधार पर बंटवारा के मामले, दण्ड प्रक्रिया संहिता 145 के कार्यवाही के मामले, विक्रयपत्र/दानपत्र/वसीयतनामा के आधार पर नामान्तरण के मामले एवं शेष अन्य प्रकृति के कुल 4473 मामले रखे गये जिनमें से 4445 मामलों का निराकरण आज की लोक अदालत में राजस्व न्यायालयों की गठित खण्डपीठ द्वारा किया गया।
नेशनल लोक अदालत में राजीनामा हेतु न्यायालय में आने वाले पक्षकारों के लिये न्यायालय परिसर में पीने के पानी की व्यवस्था की गई। समग्र यात्री जन कल्याण एवं सेवा समिति, रायगढ़ के द्वारा लोक अदालत में आने वाले पक्षकारों के लिये नि:शुल्क बस सेवा सुविधा उपलब्ध कराई गई। मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी रायगढ की ओर से, जिला रायगढ़, सारंगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़ एवं खरसिया के न्यायालयीन परिसर में नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की गई थी।
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