छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बीच आपसी सहमति के दुष्चक्र में फंस गया है पेंशनरों का महंगाई राहत और मध्यप्रदेश में भाजपा – छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के अलग अलग दलों के बीच आपसी खुन्नस में उलझ गया है मामला और खामियाजा दोनों राज्यों के लगभग 6 लाख पेन्शनर भुगत रहे हैं। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के 1लाख पेन्शनर शामिल है।उक्त आरोप भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री व छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेन्शनर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने कही है।
*उन्होंने आगे बताया है कि मध्यप्रदेश सरकार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 तथा 6वीं अनुसूची में दिए गए उपबन्धों की गलत व्याख्या कर दोनों राज्य की सरकारें पेंशनरों के साथ पिछले 21 सालों से छलावा करती आ रही हैं, राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों को अपने – अपने पेंशनरों को पेंशन देने के लिए 6वीं अनुसूची में दिए गए प्रावधानों के तहत दायित्वाधीन बनाती है । धारा 49 और 6वीं अनुसूची की पांचों कंडिकाओं तथा पांचवीं कंडिका की दोनों उपकंडिकाओं में कहीं भी नहीं लिखा है कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित मंहगाई राहत (डी आर) मध्यप्रदेश अथवा छत्तीसगढ़ सरकार अपने पेंशनरों को देने के लिए आपसी स्वीकृति प्राप्त करने के बाद जारी करेगी ।*
*धारा 49 और 6वीं अनुसूची में दिये गए प्रावधान केवल इतना कहते हैं कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार पेंशन भुगतान का दायित्व अपनी जनसंख्या के अनुपात में उठाएंगे । दोनों राज्य सरकारों ने पेंशन शेयर को भी तय कर लिया है । जिसके अनुसार मध्यप्रदेश सरकार 76 फीसदी और छत्तीसगढ़ सरकार 24 फीसदी के अनुपात में शेयर करेंगे । धारा 49 में दिए गए प्रावधान अनुसार दोनों सरकारें वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर अर्थात 31 मार्च को अपने – अपने शेयर का समायोजन करेंगी ।*
*मगर दोनों सरकारें राज्य के पेंशनरों को मंहगाई राहत देने के लिए पिछले 22 साल से राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6वीं अनुसूची में दिए गए प्रावधानों की गलत व्याख्या कर मनमानी कर रही है ।*
*वर्तमान में जहां केन्द्र सरकार अपने पेंशनर्स को 38 फीसदी मंहगाई राहत दे रही है वहीं मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार केवल 28 फीसदी मंहगाई राहत दे रही है ।*
*छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश सरकार के उपेक्षित रवैये से नाराज पेंशनरों ने अपने अपने राज्यों में आंदोलन भी किया परन्तु कानों में जूं तक नहीं रेंगी । सरकार को पता है कि पेंशनरों की नाराजगी, आंदोलन से उसके कामकाज पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है । सरकार तो चाहती ही है कि जितनी जल्दी जितने ज्यादा पेंशनर्स की संख्या कम होगी उसके लिए उतना ज्यादा फायदेमंद ही होगा ।*
*मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ के बाद अस्तित्व में आये राज्य उत्तरप्रदेश – उत्तराखंड और बिहार – झारखंड ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6वीं अनुसूची को विलोपित कर दिया है तथा अपने – अपने राज्य के पेंशनरों की देनदारियों का निपटारा स्वतंत्र रूप से कर रहे हैं । जबकि 22 साल बाद भी मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ धारा 49 (6) को अपने पेंशनर्स की छाती में मूंग दलने की चक्की बनाये हुए हैं ।*
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से पेंशनरो के महंगाई राहत की रकम पर बकौल राहुल गांधी डकैती छोड़कर तुरन्त केन्द्र के समान 38% प्रतिशत देने आदेश प्रसारित करने की मांग की है।
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