देवपुरी स्थित हिमालयन हाइट्स नाम की हाउसिंग बोर्ड की सोसाइटी में सार्वजनिक उपयोग की ज़मीन पर क़ब्ज़ा किए जाने का विरोध करने वाली महिला पत्रकार ममता लांजेवार को जान से मारने की धमकी देने के मामले को लेकर रायपुर प्रेस क्लब हाल में पत्रकारों की एक बैठक हुई. पत्रकारों ने इस घटना की निंदा की है.
महिला पत्रकार का विरोध इस बात को लेकर था कि सोसायटी के बच्चों की खेलने की जगह पर नियम विरुद्ध अवैध निर्माण की तैयारी कीजा रही है. सोसाइटी में रहने वाली महिला सत्यभामा चौहान और बेटे विवेक चौहान के कहने पर असामाजिक तत्वों ने महिला पत्रकार ममता लांजेवार के घर धावा बोल दिया था. असामाजिक तत्व जिस वक्त घर में घुसे, महिला पत्रकार अकेली थी. यह महज महिला पत्रकार को धमकी देने की घटना भर नहीं है. यह घटना महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल भी उठा रही है. हालांकि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची थी. पुलिस की मौजूदगी के दौरान भी असामाजिक तत्व उत्तेजित थे. स्थानीय निवासियों की शिकायत पर पुलिस ने कुछ असामाजिक तत्वों को धारा 34, 452 और 506 के तहत हिरासत में लिया. पुलिस ने गैर जमानती धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध तो किया, लेकिन प्रतीत होता है कि अपराध की गंभीरता के अनुरूप आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में पक्ष मजबूती से नहीं रखा गया, जिसकी वजह से आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया. जमानत पर रिहा किए गए आरोपियों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया. इस तरह की तस्वीर महिला सुरक्षा और अधिकारों को लेकर अपनी अभिव्यक्ति जाहिर करने वाली तमाम महिलाओं के साहस पर गहरा चोट करने जैसा है.
इस घटना को लेकर पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी से मुलाकात की थी. उन्होंने आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे. महिला पत्रकार के घर के करीब सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद किए जाने का भी निर्देश था. बावजूद इसके घटना में लिप्त असामाजिक तत्व खुलेआम घूम रहे हैं. इससे महिला पत्रकार की जान को खतरा होने की पूरी आशंका है. इस घटना को लेकर पत्रकारों में गहरा रोष व्याप्त है. हमारी मांग है कि महिला पत्रकार की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए इस घटना में लिप्त सभी आरोपियों के विरुद्ध विधि सम्मत कड़ी कार्रवाई की जाए.
कुछ राजनीतिक दलों का रूख इन हमलावरों के समर्थन में दिख रहा है. यह बेहद शर्मनाक है. इस मामले में हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष, इलाक़े के विधायक और दूसरे राजनैतिक दलों के नेताओं की चुप्पी की भी पत्रकारों ने कड़ी निंदा की है. जनप्रतिनिधि और राजनीतिक दलों को इस मामले में अपना पक्ष साफ़ करना चाहिए.
+ There are no comments
Add yours