सारंगढ़-बिलाईगढ़, 26 नवम्बर 2022/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के पैरादान की अपील पर आज जिले के विभिन्न गांवों में स्थित गौठानों में बड़ी संख्या में पैरादान किया गया। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में किसानों द्वारा खरीफ की फसल के बाद रबी की फसल के लिए पराली (पैरा) को जलाने से पर्यावरण एवं भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचता है। इस दिशा में प्रदेश के किसान भी अपना कदम आगे न बढ़ाएं इसलिए शासन और प्रशासन के द्वारा पैरादान महाअभियान की शुरूआत की गई है। इसी कड़ी में बरमकेला के कोकबहाल गौठान में महिलाओं ने पैरादान किया। गौठान के आसपास जिनके खेत हैं, उन किसान परिवारों की 15-20 महिलाओं ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए गौठान में पैरादान किया। बरमकेला के ग्राम पंचायत-कंडोला गौठान में भी पैरादान महाअभियान का कार्यक्रम रखा गया। पैरादान करने वाले समूहों के दीदियों एवं पैरादान करने वाले कृषकों का सरपंच/सचिव द्वारा टीका लगाकर, माल्यार्पण किया गया। मिठाई खिलाकर एवं श्री फल से भेंट किया गया। गांव के कृषकों द्वारा आज ट्रैक्टर से 3-3 ट्राली पैरा एवं समूह के सदस्यों द्वारा रमाकांत पटेल के एक एकड़ खेत से पैरा संग्रहण कर गोठान में लाया गया। सारंगढ़ के लेन्ध्रा गौठान में भी गौठान समिति के सदस्यों के आव्हान पर ग्रामवासियों ने पैरा का संकलन कर अपने ट्रैक्टर के माध्यम से गौठान स्थल पर जाकर पैरादान किया, ठीक इसी तरह हिर्री ग्राम पंचायत के गौठान में भी समूह के सदस्यों एवं किसानों द्वारा गौठानों में पैरादान अनवरत जारी है। धीरे-धीरे किसान अब बड़ी संख्या में पैरादान करने में अपनी सहभागिता दर्ज करा रहे हैं। जिले के किसानों ने पैरादान के महत्व को समझते हुए इसे एक उत्सव में तब्दील कर लिया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने पिछले दिनों किसानों से धान कटाई मिसाई के पश्चात शेष पैरा को दान करने की अपील प्रदेश के किसानों से की थी। वे लगातार पैरादान के फायदे गिनाते हुए किसानों से गौठानों में पैरादान करने की अपील करते आ रहे हैं। साथ ही उन्होंने किसानों से यह भी कहा है कि फसल कटाई के बाद पैरा न जलाएं। पैरादान करने से एक बड़ा लाभ यह भी है कि इससे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी और मवेशियों के लिए उचित मात्रा में चारे की व्यवस्था भी होगी।
+ There are no comments
Add yours