जगदलपुर-छतीसगढ़ के बस्तर में पहली बार आयोजित सुरसंग्राम गीत प्रतियोगिता का शानदार समापन ग्रैंड फिनाले के साथ हुआ.गायकी का शौक रखने वालों के लिए यह एक बड़ा आयोजन था.सुरसंग्राम नामक एक स्थानीय इवेंट कमेटी ने यह आयोजन किया था जिसे छतीसगढ़ का सबसे बड़ा औरपहला आयोजन बताया जा रहा है. सिरहासार दंतेश्वरी मंदिर के सामने सुरसंग्राम ग्रैंड फिनाले के लिये व्यापक तैयारियां की गई थी, रविवार की शाम भव्य पंडाल में ग्रैंड फिनाले का आयोजन किया गया.इस अवसर पर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक एवम संसदीय सचिव रेखचन्द्र जैन,कार्यक्रम की अध्यक्षता इन्द्रावती प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा, राजीव नारंग,अनिल लुंकड तथा अन्य अतिथियों ने माँ दंतेश्वरी छायाचित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर ग्रैंड फिनाले का शुभारंभ किया,इस मौके पर विधायक रेखचन्द्र जैन ने कहा की बस्तर की तस्वीर बदल रही है जिसका का उद्हरण सुरसंग्राम जेसे कार्यक् रम है.यह आयोजन अपने आप में तारीफे काबिल है,राजीव शर्मा ने इस मौके पर कहा की पुरे छतीसगढ़ में यह ऐसा पहला कार्यकर्म है जिसकी जितिनी भी प्रसंसा की जाये कम यह बस्तर के लिये गौराव की बात है,उन्होंने विजयी प्रतिभागियों को बधाई देते कहा की बस्तर के विकास की ही बानगी है की रात दो बजे तक श्रोता कार्यकार्म में बने है.सुर संग्राम कमेटी के अध्यक्ष आर.के नायडू ने बताया की पूरी आयोजन कराने की मंशा क्षेत्रीय तथा प्रदेश सहित अन्य जगहों के कलाकारों को मंच देना था.ताकि गायकी का शौक रखने वालों का सम्मान हो सके.उन्होंने कहा कि कार्यक्रम कराने में कठिनाइयां तो होती है मगर सभी मेंबरों के सहयोग से इतना बड़ा आयोजन हम कर पाए.भविष्य में इस तरह के आयोजन और कराये जायेंगें.उन्होंने विजयी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा 1 माह तक लगातार कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी साथी जुटे रहे और सब के सहयोग से ही सफलता मिली.
21 प्रतिभागियों के बीच हुआ कड़ा मुकाबला
एक माह के दरमियान ऑडिशन और सेमीफाइनल के बाद कुल 21 प्रतिभागियों के बीच मुकाबला कराया गया इनमे विशाल दास जगदलपुर,राम सेठिया मारकेल, लिप्सा नायक जैपुर,अस्मिता सडंगी जैपुर,नमाज़ी अली बिलासपुर,सूरज प्रधान जैपुर,रानी वैष्णव नारायणपुर,अंजली अगड़े बीजापुर,तेनज़िंन गोग बीजापुर, संतोष ऐंद्रिक बीजापुर,प्रिंस रायपुर,भावेश महंत जगदलपुर,पुरुषोत्तम बघेल जगदलपुर,अदित्य सिंह ठाकुर जगदलपुर,राजकुमार डोंगरे जगदलपुर, बृज धुर्वे जगदलपुर,राहुल पाणिग्राही जगदलपुर,सत्या भट्ट कोटपाड़,मनोज कुमार बाघ जगदलपुर और अनिता मंडल भानुप्रतापपुर शामिल है,दो राउंड में इन प्रतिभागियों ने एक से प्रस्तुतियां दी.इस बीच निर्णायक मडल ने सुर ताल को परखा और अंतिम निर्णय कर कमेटी को सौप दिया.श्रोताओं को भी एक एक कार्ड दिये गये थे ताकि वे भी प्रतिभागियों को नम्बर दे सकें, निर्णायक मडल में धीरेन मोहन पटनायक ओडिशा,सलीम संजरी रायपुर,मुईन नवाब कांकेर और डॉ कुमार बीरेंद्र जगदलपुर को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था.
रायपुर के प्रिंस रहें विजेता
छतीसगढ़ के बस्तर में पहली बार आयोजित सुरसंग्राम गीत प्रतियोगिता ग्रैंड फिनाले के विजेता रायपुर के प्रिंस(12वर्ष) रहें जबकि दुसरे नंबर पर जैपुर ओड़िसा की लिप्सा नायक और तीसरे स्थान पर जगदलपुर के बृज धुर्वे रहें,विजयी प्रतिभागियों को अतिथियों ने घोषित की गई ईनाम की राशि क्रमश: एक लाख(100000),इनक्वान हजार(51000)और इकत्तीस हजार(31000)रुपया नगद और ट्राफी प्रदान की गई.ग्रैंड फिनाले में भाग लेने वाले अन्य 18 प्रतिभागियों को 2-2 हजार रुपय नगद,प्रमाण पत्र और मोमेंटो दिया गया,फाइनल में पहुच जीत हांसिल करने वाले प्रिंस ने इस मौके पर कहा की मै वेहद खुश हूँ की बस्तर में आयोजित ग्रैंड फिनाले मे आने का मौका मिला इसके लिये आयोजन कमेटी को धन्यवाद देता हूँ
एक माह तक चला पूरा कार्यक्रम
छतीसगढ़ के बस्तर में पहली बार आयोजित की सुरसंग्राम गीत प्रतियोगिता शुरवात 26 नवम्बर से हुई.चेम्बर भवन में चार दिनों का ऑडिशन लिया गया जिसमे छत्तीसगढ़ के कई शहरों के अलावा ओडि़सा,आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया.कुल 151 प्रतिभागी ऑडिशन देने पहुचें. 26 से 29 नवम्बर तक सभी का ऑडिशन लिया गया.इसके बाद 29 नवम्बर को सेमीफाइनल राउंड शौर्य भवन में आयोजित किया.सेमीफाइनल राउंड में 21 प्रतिभागी पहुचने में कामयाब हुये.तदुपरांत 11 दिसम्बर को ग्रेंड फिनाले सिरहासार चौक में आम जनता के बीच किया गया.नक्सल प्रभावित जेसे इलाके में आयोजित की जा रही सुरसंग्राम के इस आयोजन से शहर का माहौल संगीतमय हो गया.आयोजन की ख़ास बात यह है की यहाँ उम्र की कोई सीमा नही रखी गई थी.किसी भी भाषा बोली में गीत प्रस्तुत किया जा सकता था.सुरसंग्राम ग्रैंड फिनाले और पुरे आयोजन को सफल बनाने अध्यक्ष आर.के नायडू,उपाध्यक शेलेश जारी,महेश ठाकुर,सचिव अफजल अली,कोषाध्यक्ष बी.नागेश,संस्कृति सचिव कुलभूषण ठाकुर,अनिल लुंकड,विकास श्रीवास्तव,ह्र्बन्धू ठाकुर,सचिन गुप्ता,श्रीनिवास नायडू,धर्मेन्द्र महापात्र,दीप्ती पांडे,विजय श्रीवास्तव,जितेन्द्र झा,सलीम संजरी,कविता बिजोलिया,आशा सोनी,बी मंजुसा,रेशमा अली,वंदना पाल,राजकिशोर गुप्ता,अतुल शुक्ला,अफरोज नवाब,राकेश खाफडे और मुकुल विश्वास ने अहम भूमिका निभाई.
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