बदनियत पड़ोसी की लाईट जलाते हैं मोदीजी
मैं बहुत दयालु और उदार और मानवीय आदमी हूं। नहीं … नहीं…. आदमी नहीं इंसान हूं। यानि इंसानियत है। बिल्कुल मोदीजी की तरह। ऐसे देश जो हमेशा भारत के खिलाफ बोलते रहते हैं, जिनकी गतिविधियां पूरे विश्व में हमारे खिलाफ होती हैं, वक्त आने पर मोदीजी उनकी मदद करते हैं। किसी दुश्मन के यहां भूकम्प आ जाए तो मोदीजी मदद करते हैं। हमेशा चिड़चिड़ाने वाले पड़ोसी के घर अगर बिजली चली जाए तो अपने घर से तार खींचकर लाईट देने को आतुर रहते हैं।
हां तो बस इंसानियत से लवरेज मैं एक ऐसे शख्स के बारे में अच्छा सोच रहा हूं, उसकी चिन्ता कर रहा हूं जिसे कुछ खास पसंद नहीं करता बल्कि हिंदुओं को ठगने, हिंदुओं को कुचलने का प्रयास करने के लिये, भारत माता का अहित करने के लिये, इंसानी जज़्बातों को नेस्तनाबूत करने के लिये मै जिससे नाखुश भी रहता हूं। कांग्रेस के वरिष्ठ लीडर राहुल गांधी की बात कर रहा हूं।
कांग्रेस को समझ नहीं आई है
के चमचों ने लुटिया डुबाई है
राहुल का सफल होना आवश्यक है इस देश के लिये। क्योंकि सत्ता पर कुछ अंकुश जरूरी है। मोदीजी जिस तरह से राज चला रहे हैं, हमें उन पर गर्व और मन को संतोष है। मगर ये कुदरती सत्य है कि निरंकुशता दिमाग खराब कर देती है। खैर तो राहुल गांधी देश में प्यार की अगरबत्ती सुलगाना चाह रहे हैं। कहते तो वे यही हैं, लेकिन जनता उस महक को स्वीकार ही नही ंकर रही है। वे ढिंढोरा पीटते रहे पर जनता सत्य जानती है। ढोंग समझती है। बनावटी प्यार को भला कैसे स्वीकार करे ? तो जनता चुनावों में लगातार राहुल के प्यार की महक को नकारती आ रही है।
कुछ बातें जो कड़वी मगर सच्ची हैं बोलनी हैं,, जो उन्हें अच्छी शायद न लगें। लेकिन ये बातें जरूर कहूंगा क्योंकि शुभचिन्तक हूं चम्मच नहीं। तो पहली बात यही है कि राहुल गांधी को चम्मचों से दूर रहना चाहिये। ये चम्मच हमेशा लुटिया डुबोने का काम करते हैं। यही राहुल के साथ हो रहा है। उन्हें देश की कुछ अधिक जानकारी है नहीं फिर भी बोलते हैं। उनकी बातों में आम तौर पर कोई गहराई नहीं होती फिर भी चमचे…. साॅरी समर्थक ताली बजाते हैं। समर्थक थकते नहीं उन्हें मिसगाईड करने में। आम जनता समझती और कुढ़ती है लेकिन उनके आसपास के लोग उन्हें उनके सही और विद्वान होने का अहसास कराते हैं। किसी ने उन्हें ये नहीं कहा होगा कि इस स्पीच में ये गलत हो गया। वो बस तारीफों के पुल बांधते हैं। इसी से उनका बंटाधार हो रहा है। लगातार हार पे हार हो रही है।
याद है कि देश में घुलने-मिलने के लिये सोनिया गांधी ने कितनी जल्दी हिंदी बोलना सीख लिया था। राजनीति में सफल होने के लिये उन्होंने कितनी जल्दी सियासी दुर्गुणो को समझ और अपना लिया। राहुल को भी सच्चाई स्वीकार कर दम्भ के घेरे से निकलकर यथार्थ को समझने-सीखने का प्रयास करना चाहिये। वास्तविकता ये है कि सच का आईना दिखाने वाले को अपमान सहित लतिया दिया जाता है कांग्रेस में। तो भैया कोई क्यों आपको आईना दिखाने का काम करेगा ? ऐसे में आप हकीकत से कैसे रूबरू होंगे और कैसे जनता की नब्ज़ पकड़ सकेंगे ?
आईना कारों को पास बिठाएं
कुछ समझें उनसे कुछ समझाएं
दुनिया मोदी के कहने पर चल रही है सरेआम
चढ़ते सूरज को किया करते हैं सभी सलाम
उपर से करेला नीम चढ़ा की कहावत चरतिार्थ कर दी आपने लंदन जाकर। वहां चिरौरी करने लगे कि भैया हटाओ मोदी को हटाओ। भाजपा को हराओ। लोकतंत्र को बचाओ। लोकतंत्र खतरे में है। अरे दुनिया वाले गधे हैं क्या ? दिखता नहीं उनको ? लोकतंत्र क्या पाकिस्तान जैसा चाहिये आपको ? वहां गद्दी से उतरने वाला सीधा जेल में या फांसी के फंदे मंे झूलता नजर आता है। नहीं तो जाकर एक बार इमरान खान से पूछ लें ज़रा। आपके प्रिय सिद्धूजी के दोस्त हैं वे तो। सिद्धू से ही फोन लगवा लें। क्या वैसा लोकतंत्र चलेगा आपको ? सारे विश्व ने मोदीजी की कार्यप्रणाली को सराहा है, मोदीजी की नीयत को नमन किया है। तारीफों के पुल बांधे हैं। क्या बेवकूफ लोग हैं वे ? वैसे याद दिला दूं कि पहले भी कांग्रेसी लीडर पाकिस्तान में भी जाकर मोदीजी से प्रताड़ित होने का विलाप उन्हें सुना चुके हैं। और हाथ जोड़े हैं कि आप साथ दे ंतो मोदी को हटाएं। अरे वो भिखारी जिसे खाने के लाले पड़ रहे हैं उस समय भी चलाचली की बेला में था, अपना पाजामा नहीं संभाल पा रहा था आपके लिये तन ढकने का कपड़ा कहां से लाता ? अफसोस है आपकी पार्टी की सोच पर…. ।
एक बात और दुनिया चढ़ते सूरज को सलाम करती है। बुझते दिये को कोई नहीं देखता। काश कि आप समझ पाते कि मोदीजी क्या हैं। क्या है विश्व में किसी में जो मोदीजी की ओर आंख उठाकर देखे, जो भारत माता को आंख दिखाए ?
लंबी-चैड़ी चहलकदमी कर डाली। रोज़ अखबारों में चैनलों में छाए रहे। समर्थकों यानि चमचों से घिरे चलते रहे, चलते रहे। ये भी नहीं समझ पाए कि काश्मीर के जिस खूंखार चैक पर आपने झण्डा फहराया था उसे मासूम चैक मोदीजी ने ही बनाया है। जिस बर्फ पर अठखेलियां करते बहन प्रियंका के साथ बर्फ के गोले उछालते दिखे वहां पर बारूद के गोले उछलते थे। ये वातावरण मोदीजी ने बनाया। क्या अंधे हैं लंदन वाले ? बाहर जाकर विलाप करने के बजाए यहां रहकर अपने चमचों को छिटककर सही लोगों की सलाह पर चलें और मजबूत हों… आखिर देश को आपकी जरूरत है।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
mo 9522170700
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