विधानसभा में प्रधानमंत्री आवास मामले में विपक्ष का बहिर्गमन
छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज एक बार फिर प्रधानमंत्री आवास योजना का मुद्दा जोरशोर से उठाया गया। प्रश्नकाल में विपक्षी सदस्य पुन्नूलाल मोहले, शिवरतन शर्मा और धरमलाल कौशिक ने बचे हुए आवास लोगों को दिलाने के मामले में सरकार से सवाल किया। इसके जवाब में पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे ने स्वीकार किया कि कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार ने अपना राज्यांश नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि जो भी हितग्राही पात्र होंगे, उन्हें आवास दिलाया जाएगा। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी की और घुमाकर जवाब देने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया।
वहीं, सदन में आज अपने सवाल में सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने जानना चाहा कि बोधघाट परियोजना का कार्य इस सरकार के कार्यकाल में पूरा होगा कि नहीं। उन्होंने मंत्री रविन्द्र चौबे से पूछा कि मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री ने सदन में कहा था कि इसी कार्यकाल में बोधघाट परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस परियोजना का कार्य करने के लिए जिस कंपनी को नियुक्त किया गया है, वह मध्यप्रदेश में ब्लैक लिस्टेड है और पूर्व में भी दिए गए कार्यों को समय पर पूरा नहीं कर पाई है। उन्होंने कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए बारह करोड़ रूपये का भुगतान करने का आरोप लगाया और कहा कि अभी तक परियोजना का डीपीआर तैयार नहीं हुआ है, ऐसे में कार्य कैसे शुरू होगा।
जवाब में मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि यह कंपनी केन्द्र सरकार में इम्पैनल है और पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने कंपनी को पांच करोड़ रूपये का कार्य स्वीकृत किया था। उसी आधार पर राज्य सरकार ने कंपनी को इकतालीस करोड़ रूपये का कार्य दिया था। श्री चौबे ने स्पष्ट किया कि बोधघाट परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति में हाइड्रल प्रोजेक्ट लगाने की स्वीकृति है। इससे बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा में सिंचाई हो सकती है। इस मामले में विपक्षी सदस्यों ने ब्लैक लिस्टेड कंपनी को काम देने का आरोप लगाते हुए सदन में हंगामा किया।विधानसभा में आज शून्यकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली-पीडीएस के अनाज में एक हजार करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप लगाया। विपक्ष के तेरह सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव देकर इस पर चर्चा कराने की मांग की। जवाब में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि इस मामले में चार करोड़ पचपन लाख मूल्य के अनाज की वसूली की जा चुकी है। एक सौ इकसठ दुकानों को निलंबित और एक सौ उन्नीस राशन दुकानों को निरस्त किया गया है। विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम ने स्थगन प्रस्ताव अग्राहृय कर दिया। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन में शोरशराबा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
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