महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना करके सालों से सोई हुई इस देश की आत्मा को जागृत करने और वेदों के उद्धार और उन्हें मूल स्वरूप में लाने का काम किया
जिस जमाने में स्वराज, स्वभाषा और स्वधर्म बोलना भी पाप था, उस ज़माने में महर्षि दयानंद ने निर्भीकता के साथ इनका प्रचार-प्रसार करके अनेक लोगों को इससे जोड़ने का काम किया
आर्य समाज, पूर्वोत्तर के वनवासी क्षेत्रों में महर्षि दयानंद के विचारों से शिक्षा क्रांति यज्ञ का उद्घोष कर रहा है, जनजाति क्षेत्रों में ‘गले लगाइये, दूरी मिटाइये’ जैसा कार्यक्रम आर्य समाज के सिवा और कोई नहीं चला सकता
आर्य समाज प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है और मोदी सरकार भी देशभर के किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए पूरा प्रोत्साहन दे रही है
गुलामी के कालखंड में भी आर्य समाज ने देश में अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ स्वतंत्रता की अलख जगाई और लोगों को स्वाधीनता संग्राम में जुड़ने के लिए प्रेरित किया
भारत की आज़ादी का इतिहास महर्षि दयानंद और आर्य समाज के योगदान का उल्लेख किए बिना नहीं लिखा जा सकता
जब भी हम नमस्ते कहते हैं तो हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि ये सर्वकालीन और संपूर्ण भारतीय अभिवादन महर्षि दयानंद की ही देन है
अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना करके महर्षि दयानंद ने सालों से सोई हुई इस देश की आत्मा को जागृत करने और वेद व्यास के बाद वेदों के उद्धार और उन्हें मूल स्वरूप में लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद ने देश के सांस्कृतिक और बौद्धिक जागरण की बहुत तीव्र गति से शुरूआत की, अनेक क्रांतिकारियों के प्रेरणास्त्रोत रहे और देश में अनेक सामाजिक सुधारों के जनक रहे। महर्षि दयानंद का इस देश और पूरी सृष्टि पर हमेशा ये उपकार रहेगा कि उन्होंने आर्य समाज की स्थापना करके अपने विचारों और कार्यों को स्थायित्व देने का काम किया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और वे महर्षि दयानंद ही थे जिन्होंने पहली बार स्वतंत्रता का उद्घोष किया था। उन्होंने कहा कि स्वराज, स्वभाषा और स्वधर्म का प्रचार प्रसार करके अनेक लोगों को उसके साथ जोड़ने का काम महर्षि दयानंद जी ने किया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार महर्षि दयानंद जी की 200वीं जयंती मनाने का निर्णय कर चुकी है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जो देश जागरण का काम कर रहे हैं उसकी मूल कल्पना महर्षि दयानंद के जीवन और कार्यों से ली गई है। श्री शाह ने कहा कि महर्षि दयानंद ने अंध श्रद्धा से घिरे हुए देश को झंझोड़कर जागृत किया, कई कुरीतियों से मुक्त किया और सत्य को सत्यार्थ प्रकाश के माध्यम से पूरी दुनिया के सामने रखा। उन्होंने अंग्रेज़ी शासन के सामने निर्भीकता के साथ अनेक लोगों को आज़ादी के लिए लड़ने का हौंसला दिया। उन्होंने आर्य समाज के रूप में एक ऐसी परंपरा की स्थापना की जो अनेक वर्षों तक भारत की उन्नति और विश्व के कल्याण का कारण बनेगी।
श्री अमित शाह ने कहा कि महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती के साथ-साथ आने वाले 2 सालों में कई कार्यक्रम होंगे और उसी वक्त आर्य समाज के 150 साल भी पूरे होंगे, ये पूरे देश और विश्व के भारतीयों के लिए गर्व का क्षण होगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से ना केवल पृथ्वी और मिट्टी का कल्याण होने वाला है बल्कि गौ माता के संरक्षण और संवर्धन से पूरी दुनिया का कल्याण होने वाला है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने भी प्राकृतिक खेती का पूरा समर्थन करके लाखों किसानों को यूरिया और डीएपी से मुक्त करके एक बार फिर से पृथ्वी माता को गुणवत्ता से भरपूर बनाना और मानव शरीर को रोगमुक्त करने का अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज की नशे के खिलाफ लड़ाई समयानुसार है और इसके अलावा जनजाति क्षेत्रों में गले लगाइये, दूरी मिटाइये जैसा कार्यक्रम आर्य समाज के सिवा और कोई नहीं चला सकता।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि बाल्यकाल में सत्य की खोज में निकला हुआ एक बालक महर्षि दयानंद बनकर अपने पीछे विश्व के लिए एक महान परंपरा को छोड़कर गया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी और स्वभाषा का स्वाभिमान पहली बार निर्भीकता के साथ रखने का काम महर्षि दयानंद ने किया। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद मानते थे कि वेदों का ज्ञान ही भारत की उन्नति का मूल कारण है, इसीलिए उन्होंने वेदों के ज्ञान को ही मूल आधार मानते हुए अपना पूरा जीवन जिया और वेदों की ओर लौटो का मंत्र दिया जो आज भी अनेकानेक लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। श्री शाह ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद, महात्मा हंसराज, पंडित गुरुदत्त और लाला लाजपतराय ने उस ज़माने में देश के युवाओं और देशप्रेमियों को देशभक्ति, स्वभाषा और स्वधर्म का संस्कार दिया।
श्री अमित शाह ने कहा कि भारत की आज़ादी का इतिहास आर्य समाज के योगदान का उल्लेख किए बिना नहीं लिखा जा सकता। उन्होंने कहा कि अनेक क्रांतिकारियों को बनाने का काम आर्य समाज के गुरूकुल की श्रंखलाओं ने किया। उन्होंने कहा कि आर्यसमाज ने बंग-भंग का भी पुरज़ोर विरोध किया और हैदराबाद मुक्ति संग्राम और गोवा मुक्ति संग्राम में भी आर्य समाज झंडा उठाकर सबसे आगे था। श्री शाह ने कहा कि 1857 की क्रांति की विफलता के बाद एक प्रकार से पूरा देश बिखर गया था, उस वक्त महर्षि दयानंद ने इस बात को समझ लिया था कि इस देश की एक भाषा तय करनी होगी और संपर्क भाषा बढ़ानी होगी और इसीलिए उन्होंने बोला, लिखा और जिया भी हिन्दी में। उन्होंने कहा कि आज जब भी हम नमस्ते कहते हैं तो हमेशा याद रखिए कि ये सर्वकालीन और संपूर्ण भारतीय अभिवादन महर्षि दयानंद की ही देन है और भारत को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हिंदू धर्म और आर्य समाज के अनुयायी कभी संकुचित हो ही नहीं सकते क्योंकि हम तो पूरे ब्रह्मांड को अपना मान कर चलने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा, वंचित वर्ग के बच्चों के लिए पाठशालाओं का निर्माण, अनाथालय का निर्माण, महिला शिक्षा का काम और विधवा विवाह का भी समर्थन आर्य समाज ने किया। इतने सारे कामों की एक जीवन में कल्पना करना भी असंभव है और एक व्यक्ति कैसे अपने अल्प जीवन में इतने सारे आयामों को छू सकता है और ऐसे अनुयायियों की फौज खड़ी करना। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के अनुयायियों के प्रयासों से आज विश्व के 34 देशों में आर्य समाज का संगठन वटवृक्ष बनकर खड़ा है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के काम को भी एक नई गति देने की जरूरत है, दिशा ना बदले मगर गति और व्यापतता बढ़ाने की जरूरत है, तभी देश के सामने खड़ी चुनौतियों का हम सामना कर पाएंगे। श्री शाह ने कहा कि आर्य समाज हर विषय पर काम कर सकता है और आज भी इसकी उतनी ही ज़रूरत महसूस होती है। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए एक आशा की किरण यह है कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार चल रही है और सरकार के सारे इनीशिएटिव आर्य समाज के मूल में हैं। स्वभाषा की बात, समृदध राष्ट्र की कल्पना, दुनिया में देश का सम्मान बढ़ाना, योग और आयुर्वेद को पुनर्जीवित करना हमारी संस्कृति की ओर लौटने और आर्य समाज की ही बात है। उन्होंने कहा कि आज मोदी सरकार ढेर सारी चीजों को पुरस्कृत कर रही है, गति दे रही है और इनके लिए योजना बना रही है।
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