राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य अधर में है। लोकसभा सदस्यता रद्द हो चुकी है। अगर ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली तो 8 साल के लिए चुनाव लड़ने रोक लग जाएगी।
हाइलाइट्स
- राहुल गांधी की संसद सदस्यता गई, लोकसभा सचिवालय ने जारी किया नोटिफिकेशन
- ऊपर की अदालत से राहुल को मिल सकती है राहत, नहीं तो चुनाव तक नहीं लड़ पाएंगे
- राहुल को 30 दिन के अंदर सरकारी बंगला खाली करना होगा, सांसदी जाने पर है नियम
नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को 2019 के मानहानि के केस में मिली दो साल की सजा के बाद शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया गया। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि उनकी अयोग्यता का आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा। नोटिफिकेशन जारी होने के कुछ घंटे पहले राहुल गांधी ने लोकसभा की कार्यवाही में भाग लिया। कार्यवाही शुरू होने से पहले, उन्होंने संसद परिसर में पार्टी के सांसदों की बैठक में भी हिस्सा लिया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं, हर कीमत चुकाने को तैयार हूं।’ हालांकि, सूरत की अदालत ने राहुल को सजा के तुरंत बाद जमानत देते हुए ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया है। जब तक कोई ऊपरी अदालत राहुल की सजा पर रोक नहीं लगाती तब तक वह अयोग्य बने रहेंगे। कुल आठ साल के लिए कोई भी चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी जाएगी। अयोग्यता के बाद वायनाड लोकसभा सीट पर चुनाव आयोग उपचुनाव भी करा सकता है। 2024 में लोकसभा चुनाव कराने के लिए अभी एक साल से ज्यादा का समय बचा है। इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है और वह मोदी सरकार के इस कदम के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘मोदी सरकार को सबसे ज्यादा डर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी से लगता है। देशवासी यह तानाशाही नहीं सहेंगे। लोकतंत्र की हिफाजत के लिए हम जेल तक जाएंगे। हम JPC की मांग करते रहेंगे।’ वहीं, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कार्रवाई कानून के मुताबिक हुई है। नेहरू-गांधी परिवार को पता होना चाहिए कि कानून सबके लिए समान है।
विपक्षी साथ, BJP हमलावर
विपक्षी दलों ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने पर आरोप लगाया कि लोकतंत्र की हत्या की जा रही है और सिर्फ विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह हरकत एक डरी हुई सरकार की निशानी है। यह अकेले राहुल गांधी की लड़ाई नहीं है, इस वक्त देश को बचाना जरूरी है। ममता बनर्जी ने कहा कि विपक्षी नेता अब BJP का निशाना बन गए हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी ने हमेशा खुद को सदन, सरकार, देश से ऊपर समझा। उनकी अयोग्यता संविधान के मुताबिक है और लोकसभा ने केवल इसकी पुष्टि की है।
ऊपर की अदालत से रास्ता होगा साफ
- सूरत की कोर्ट ने सजा के खिलाफ अपील के लिए 30 दिन दिए हैं।
- अगर सजा पर रोक लग गई तो अयोग्यता के फैसले पर भी रोक लग जाएगी।
- अगर ऊपरी कोर्ट में सजा नहीं रोकी गई तो राहुल को 2 साल की जेल होगी।
- सजा की अवधि और उसके पूरा होने के छह साल बाद तक वह चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। यानी 8 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी।
- नियम है कि खाली हुई सीट पर 6 महीने के भीतर चुनाव कराना होता है, चुनाव आयोग नियम के मुताबिक वायनाड सीट पर फैसला ले सकता है।
- जनवरी में लक्षद्वीप के पूर्व सांसद मोहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास के मामले में दोषी करार देने के बाद आयोग ने तुरंत उपचुनाव की घोषणा की। केरल हाई कोर्ट ने सजा सस्पेंड कर दी तो आयोग को नोटिफिकेशन वापस लेना पड़ा था।
- अगर राहत नहीं मिली तो राहुल गांधी को सरकारी बंगला अगले 30 दिनों में खाली करना पड़ेगा।
CBI-ईडी के दुरुपयोग पर सुनवाई करेगा SC
सुप्रीम कोर्ट 14 विपक्षी दलों की उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया जिसमें केंद्र पर जांच एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है। कोर्ट मामले में पांच अप्रैल को सुनवाई करेगा। विपक्षी दलों ने अनुरोध किया है कि CBI और ED जैसी जांच एजेंसियां गिरफ्तारी के पहले और गिरफ्तारी के बाद दिशा-निर्देशों का पालन करें। याचियों के वकील ए. एम. सिंघवी ने कहा कि 95 फीसदी मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं। हम गिरफ्तारी के पहले और गिरफ्तारी के बाद दिशा निर्देशों की मांग कर रहे हैं। जिन दलों ने यह अर्जी दाखिल की है उनमें कांग्रेस, DMK, आरजेडी, BRS, तृणमूल कांग्रेस, NCP, समाजवादी पार्टी, लेफ्ट दल और नैशनल कॉन्फ्रेंस भी शामिल हैं।
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