एक सर्वे के अनुसार इस बार यानि 2023 में कांगे्रस को बहुमत मिलेगा। जिसमें केवल एक प्रतिशत मत अधिक पाकर कांग्रेस 47 से 52 सीट और भाजपा 34 से 39 सीट पा सकेगी। इस तरह बहुमत से कांग्रेस फिर कायम होगी। इस सर्वे से कांग्रेस खुश तो हुई पर गंभीर कांग्रेसी नेता चिन्ता में पड़ गये। कांग्रेसियों को इस सर्वे से यह डर सताने लगा है कि मात्र एक प्रतिशत मत कोई बड़ी बात नहीं है। संभव है कि मोदीजी का जोर लगाकर और अन्य अधिक प्रयास करके भाजपा ये गड्ढा भर ले।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 2918 में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो कांग्रेस का मनोबल बढ़ा था और ऐलान ऐसे किये गये कि बस अब कांग्रेस ने पिकअप ले लिया है और रेस में दौड़ पड़ी है। अब सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय में जाकर रूकेगी।
लेकिन जल्द ही परिदृश्य बदल गया। कांग्रेस जहां पर पहुंची और उससे पहले जहां थी उससे भी नीचे चली गयी। कारण और हालात चाहे जो भी रहे हों। मगर सच्चाई तो यही है कि कांगे्रस को दिनोंदिन घाटा हो रहा है। साथ ही 2018 विधानसभा चुनावों के सिर्फ एक साल बाद ही लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। केवल 2 सीटें मिलीं 11 में से। नौ सीटों पर भाजपा आ गयी।
खाने की थाली में एक बार पूरा मीठा
एक बार पूरा कड़वा
ईधर सारे देश का ध्यान कर्नाटक पर लगा है जहां चुनाव मई में सपंन्न होने जा रहे हैं, लेकिन कर्नाटक के तत्काल बाद मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों को 2024 के विधानसभा चुनावों के सेमीफाईनल के रूप् में देखा जा सकता है। निश्चित ही ऐसा नहीं कहा जा सकता कि सेमीफाईनल में जीतने वाली टीेम फाईनल में भी जीत लेगी ।
क्योंकि कई बार ये देखा गया है कि विधान सभा चुनावों में हवा अलग होती है और लोकसभा में अलग। छत्तीसगढ़ में ही एक ओर जनता विधानसभा कांग्रेस को सौंप देती है तो लोकसभा के लिये कांग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ कर देती है। यानि एक जगह तो पूरा का पूरा मीठा और दूसरी जगह पूरा का पूरा कड़वा। कहीं कोई मुरव्वत नहीं। इससे ये तो समझ मे आ गया कि आंकलन की धार तेज हो गयी है। जनता ने चुनावों को हलके में लेना बंद कर दिया है। पूरी तरह मुद्दों को देख समझ कर वोट करने लगी हैै।
भूपेश बघेल का अच्छा है
काम और नाम
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का चेहरा भूपेश बघेल हैं अब इसमें कहीं कोई संशय नहीं रहा। ये बात कांग्रेस के लिये काफी फायदेमंद साबित होगी। क्योंकि जिस तरह से बघेल ने प्रदेश मंे काम किया और उसका प्रचार किया है वो सराहा जा रहा है। इसी तरह भाजपा के पास मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है ये भी निर्विवाद हैं। हालांकि इससे भाजपा को कोई हानि होगी ऐसा नहीं है। लेकिन सर्वे में भाजपा को पीछे होने के जो कारण बताए गये हैं उनसे भाजपा अच्छी तरह जूझ रही है। कहा जा सकता है कि सर्वे के नतीजों ने भाजपा को सावधान कर दिया। भाजपा ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। वैसे शहरी क्षेत्रों में भाजपा को कुछ समर्थन अधिक हैं। ग्रामीण में पकड़ बनाने की जुगत बिठा रही है।
कवर्धा और बेमेतरा के विवाद ने
कांगे्रस से हिंदुओं की दूरी बढ़ाई
पिछले साल कवर्धा में झण्डा लगाने के नाम पर हुआ हिंदु-मुस्लिम विवाद और फिर अब बेमेतरा में हुआ विवाद भाजपा के झण्डे तले हिंदुओं को लामबंद करने का कारण बनेगा। इस विवाद से कांग्रेसी निश्चित ही निराश होंगे। इसके अलावा मोदीजी का नाम और देश भर में उनका काम भाजपा के लिये बड़े मुद्दे होंगे। अडानी का मुद्दा छत्तीसगढ़ में क्या किसी प्रदेश में किसी चुनाव में नहीं चलने वाला है। पहले के चुनावों में जो भ्रष्टाचार के आरोप कांग्रेस ने लगाए थे, राफेल के समय चैकीदार चोर है का नारा लगाया था, वो चले नहीं। जनता ने कांग्रेस को दुत्कार दिया और राहुल गांधी को भी कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी थी।
राजधानी में कांग्रेसी व्यापारी द्वारा
पुलिस को नाजायज बेइज्जत करना
पिछले दिनों राजधानी में एक कांग्रेस समर्थक व्यापारी द्वारा एक पुलिस कर्मी को रास्ता जाम न करने देने के विवाद पर गरियाना और औकात दिखाना भी जनता को हजम नहीं हो रहा है। ये वीडियो सारे प्रदेश में वायरल हो रहा है। यहां तक कि मध्यप्रदेश में भी ये देखा जा रहा है। इसका बड़ा बुरा असर जनता पर पड़ रहा है जिसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है।
अंततोगत्वा
अंततोगत्वा टक्कर कांटे की है। एक प्रतिशत का गड्ढा भाजपा भर ले या बचत समय में कांग्रेस कुछ और अच्छे अपीलिंग काम करके दिलों पे छा जाए और गड्ढे को और गहरा कर ले, कुछ कहा नहीं जा सकता। अंत समय में क्या होगा अभी कुछ कहना सियासती संदर्भ में कतई उचित नहीं होगा। बस प्रतीक्षा करें।
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