तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ‘सनातन धर्म को ख़त्म किए जाने’ वाले बयान को लेकर विवादों में हैं. वहीं एक बार फिर से उन्होंने अपनी बात पर अड़े रहने का बात कही है. उन्होंने कहा कि “मैं ये बात बार-बार कहूंगा.” हालांकि स्टालिन ने ये भी कहा कि उन्होंने सिर्फ जातिगत भेदभाव की निंदा की है.
उन्होंने कहा, “परसों मैंने एक समारोह में इसके बारे में (सनातन धर्म) बोला था. मैंने जो भी कहा, मैं वही बात बार-बार दोहराऊंगा. मैंने सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों को इसमें शामिल किया. मैंने जातिगत मतभेद की निंदा की.”
इससे पहले भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि उनकी टिप्पणियों को जातिगत क्रम की पृष्ठभूमि में लिया जाना चाहिए. उन्होंने बढ़ती विपक्षी एकता के डर के बीच भाजपा पर उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया.
स्टालिन का ये बयान भारतीय जनता पार्टी के उन हमलों के बीच आया है, जिसमें पार्टी के नेताओं ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे को “उदयनिधि हिटलर” बताया. वहीं विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन को ‘हिंदू विरोधी’ करार दिया.
इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस नेता प्रियंक खरगे ने कहा कि कोई भी धर्म जो समान अधिकार नहीं देता है, वह धर्म नहीं है और ‘एक बीमारी के समान है’. खरगे का कहना था, “कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता है, कोई भी धर्म जो यह सुनिश्चित नहीं करता है कि आपको एक इंसान होने की गरिमा प्राप्त है, वह मेरे अनुसार धर्म नहीं है. इसलिए यह एक बीमारी के समान ही है.”
तमिलनाडु के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि ने आरोप लगाया है कि सनातन धर्म समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है और इसे खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोनो वायरस, मलेरिया और डेंगू बुखार से की और कहा कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि नष्ट किया जाना चाहिए.
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