हाथी ने तोडे मकान बोरे भर—भर के खाए धान, आतंक से ग्रामीण परेशान

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अंबिकापुर। अंबिकापुर शहर के नजदीक ग्राम किशुननगर व कुल्हाड़ी के ग्रामीण पिछले 20 दिनों से जंगली हाथी से परेशान है। अभी तक लगभग एक दर्जन घरों को हाथी क्षतिग्रस्त कर चुके हैं। कई एकड़ में लगी सब्जियों की फसल को बर्बाद कर चुके हाथी के कारण ग्रामीणों की नींद गायब है। हाथी से प्राणरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे ग्रामीणों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। रात-रात भर बच्चों, महिलाओं के साथ ग्रामीण इधर-उधर भागे-भागे फिर रहे हैं। वन विभाग की लापरवाह कार्यशैली ने ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा दी है। संसाधनों की कमी से जूझ रहे गांववालों को वन विभाग का साथ नहीं मिल रहा है। गांव के चमन सोनवानी ने बताया कि 20 दिन पहले दल से भटक कर यह हाथी आया था। तब से यही रुका हुआ है। दिन में नजदीक के जंगल में समय बिताने के बाद सूर्यास्त होते ही यह हाथी किशुननगर,सकालो और कुल्हाड़ी के किसी भी आबादी क्षेत्र में प्रवेश कर जाता है। स्थिति यह है कि शाम होते ही लोग जीवन रक्षा के उपाय में लग जाते हैं। घर बचाने के प्रयास में हो,हल्ला कर हाथी को भगाने का प्रयास करते है। भाग-दौड़ में लोग जख्मी भी हो रहे है। लोग रात-रात भर जाग रहे हैं इसलिए उनका स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। वन विभाग की ओर से एक-दो कर्मचारी आते हैं , उनकी ओर से कोई मदद नहीं मिल पाती है। संसाधनों की कमी के कारण गांववालों को देखने के सिवाय उनके पास कोई उपाय नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ है जब इस क्षेत्र में 20 दिन से एक हाथी रुका हुआ है। हाथी के कारण लोगों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। लोगों की दिनचर्या बदल गई है। शाम होने से पहले सुरक्षित घर पहुंचने की जल्दबाजी रहती है। उसके बाद हाथी से बचाव का उपाय करना पड़ता है। सरगुजा संभाग में इन दिनों हाथियों का लगातार आबादी क्षेत्रों में प्रवेश हो रहा है।इसके पीछे मुख्य कारण जंगल में चारा-पानी की कमी होना है। प्रचंड गर्मी में जलस्रोत सूख रहे हैं। खाने के लिए भी कुछ नहीं मिल रहा है। हर जंगल में बांस,पीपल,बरगद भी नहीं हैं। किशुननगर के समीप जंगल में रुके हाथी को भी चारा-पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है इसीलिए यह हाथी लगातार बस्ती की ओर प्रवेश कर रहा है। मंगलवार की रात हाथी ने तीन घरों को क्षतिग्रस्त किया। एक बैल को भी कुचल कर मार डाला। अंबिकापुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम किशुननगर,सकालो,कुल्हाड़ी सब्जीवर्गीय फ़सलों की खेती के लिए जाना जाता हैं। खेतों में अभी खीरा, मक्का, बरबट्टी,लौकी,करेला, कुम्हड़ा जैसी सब्जियां हैं। लगातार हाथी इन फसलों को खाकर और पैरों से कुचल नष्ट कर रहा है। किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्षति के अनुपात में मुआवजा भी कम मिलता है इस कारण भी किसान आर्थिक संकट में हैं। यह हाथी दल से बिछड़ा हुआ है। जिन घरों को हाथी तोड़ रहा है वहां धान सहित दूसरे अनाज के बोरों को खींचकर बाहर निकाल उसे भी खा रहा है।

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