Category: लेख-आलेख
भारत माता बनी डैमोक्रेसी की मम्मी! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
अब तो मोदी जी के विरोधियों को भी मानना पड़ेगा कि उन्होंने भारत को विश्व गुरु बना दिया है। धर्म-वर्म के मामले में ही नहीं, [more…]
भाजपा में इस्तीफे नहीं होते, सिर्फ कांड होते हैं (आलेख : बादल सरोज)
सब कुछ हुआ, मगर ब्रजभूषण शरण सिंह का इस्तीफा नहीं हुआ। कुश्ती के मुकाबलों में देश और दुनिया में अपने खेल कौशल की धाक बनाने [more…]
लगे रहो नरोत्तम भाई! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
पंडित नरोत्तम मिश्र एमपी वालों को एक सजातीय प्रशंसक का प्रणाम पहुंचे। सुना है जी कि आप दु:खी हैं। जो खबरें फैल रही हैं, उनमें [more…]
भगवान के आने में देर है, अंधेर…! (व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा)
भाई भक्तों, इतना बेसब्रा होना भी ठीक नहीं है। नहीं, नहीं, हम ये नहीं कहते कि तुम्हारी शिकायत गलत है। भगवा पार्टी वाले इस बार [more…]
अरक्षणीय तुलसी पर कोहराम तो बहाना है, मकसद मनु और गोलवलकर को बचाना है (आलेख : बादल सरोज)
जैसे इधर मदारी का इशारा होता है और उधर जमूरे का काम शुरू होता है, ठीक उसी तरह इधर संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने [more…]
सांप्रदायिकता और तानाशाही का जहरीला कॉकटेल है भागवत का साक्षात्कार (आलेख : बृंदा करात)
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस प्रकाशन के ‘ऑर्गनाइज़र’ और ‘पाञ्चजन्य’ (15 जनवरी) के संपादकों को दिए एक साक्षात्कार में कई सवालों का जवाब दिया [more…]
सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल /वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम, स्थिति सुधरेगी तो क्यों काटेंगे टिकट- सीएम बघेल
‘स्थिति सुधरी तो क्यों काटेंगे टिकट ? स्थिति नहीं सुधरी तो पार्टी तय करेगी।’ कुछ दिन पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दिये इस [more…]
गिनती में ही ऐसा क्या धरा है! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
हम ये पूछते हैं कि पब्लिक से डबल-डबल इंजन वाली सरकार बनवाने का फायदा ही क्या हुआ, अगर भगवा पार्टी वाले इतना भी तय नहीं [more…]
नज़र झुका के चलो, जाग्रत हिंदू से बच-बचा के चलो! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
हिंदुस्तान वालो, अब तो मान लो। बेचारे आडवाणी जी तो कब से कह रहे थे कि असली सेकुलर तो उनके संघ परिवार वाले ही हैं। [more…]