Category: लेख-आलेख
बदनाम होगा, तो भी राम का नाम होगा! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
देखी, देखी, छद्म सेकुलरवालों की चालबाजी देखी! रामनवमी गुजरी नहीं कि आ गए एक बार फिर रामभक्तों को गुमराह करने। कहते हैं कि जैसे बिहार, [more…]
डिग्री-मुक्त पीएमओ उर्फ़ हम डिग्री नहीं दिखाएंगे! (व्यंग्य आलेख : राजेंद्र शर्मा)
भाई, विरोधियों की ये तो सरासर बेईमानी है। जब मोदी जी-शाह जी एनआरसी ला रहे थे, तब क्या हुआ था, वह याद है या नहीं? [more…]
वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक, कभी तू छलिया लगता है , कभी दीवाना लगता है , कभी अनाडी लगता है , कभी आवारा लगता है , तू जो अच्छा समझे , ये तुझपे छोड़ा है ।
1991 में आई फ़िल्म “पत्थर के फूल ” में एसपी बालसुब्रामण्यम व लता मंगेशकर द्वारा गाना यह गान आज अचानक भूमाफिया बन्धुओ और उपपंजीयक के [more…]
पुरस्कारों का बढ़ता बाजार लेख प्रियंका सौरभ
पुरस्कारों के बढ़ते बाजार के में देने और लेने वाले दोनों कि भूमिका है। देने वाले अपने आप खत्म हो जायेंगे अगर लेने वाले न [more…]
भगोड़े को भगोड़ा मत कहो! (व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा)
अब तो विरोधियों को भी मानना पड़ेगा कि मोदी जी ने वाकई पूरी दुनिया में इंडिया का डंका बजवा दिया है। सिर्फ पीएम मोदी ही [more…]
हिंडेनबर्ग के हिस्ट्रीशीटर और उसके शरीके जुर्मों के लिए ओबीसी के कवच और ढाल की तलाश, (आलेख : बादल सरोज)
मोदी की भाजपा के न्यू इंडिया में सिर्फ नैरेटिव ही नहीं बदला ; बल्कि वर्तनी, मायने और मुहावरे भी बदल दिए गए हैं। राष्ट्रवाद को [more…]
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम टेक इट ईज़ी ”राहुल को सजा भाजपा का नया पैंतरा”
भाजपा जानबूझकर राहुल को दे रही दम जलवा रहे कायम और पावर न हो कम भाजपा राहुल का कद बढ़ाने पे तुली है लगता है [more…]
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम, टेक इट ईज़ी ”इंदिरा गांधी ने जमीन में गड़वाया था तारीफों का पुलिंदा कांग्रेस को होना चाहिये झूठ के लिये शर्मिन्दा”
ये एक रोमांचकारी और अद्भुत तथ्य है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व श्रीमती इंदिरा गांधी ने एक टाईम कैप्सूल यानि कालपत्र छपवाया था। जिसे सैकड़ों फीट [more…]
जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते (विशेष रिपोर्ट प्रियंका सौरभ)
जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते भारत के मीडिया में लगातार ‘आवारा कुत्तों का खतरा’ सुर्खियों में रहता है। पिछले पांच वर्षों से, 300 से [more…]
नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल प्रियंका सौरभ
क्या हमारा समाज देवी की लिंग-संवेदनशील समझ के लिए तैयार है? नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। [more…]