Category: लेख-आलेख
फेक न्यूज और दुष्प्रचार भारतीय समाज में नई चुनौतियाँ
फेक न्यूज और दुष्प्रचार भारतीय समाज में नई चुनौतियाँ हर किसी की यह जिम्मेदारी है कि वह फेक न्यूज और गलत सूचना के संकट से [more…]
देश की बदनामी चालू आहे! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
मोदी जी के विरोधियों के एंटी-नेशनल होने का अब और क्या सबूत चाहिए! मोदी जी को विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिलते-मिलते रह गया। [more…]
धर्मग्रंथों की समीक्षा का भागवत एलान : इतिहास बदलने के बाद अब धर्म बदलेगा आरएसएस (आलेख : बादल सरोज)
“जाति भगवान् ने नहीं, पंडितों ने बनाई है” जैसे बयान के बाद उठ खड़ा हुआ तूमार अभी थम भी नहीं पाया था कि आरएसएस के [more…]
अनमोल – अमोल पालेकर ( प्रस्तुति रवि के ग़ुरूबक्षाणी )
अमोल पालेकर के बारे में सोचते ही ‘गोलमाल’ याद आती है. छोटा कुर्ता, राम श्याम और नकली मूंछें. फिर वो डायलॉग कि ‘कबीर को पढ़ने-पढ़ाने [more…]
मेले से महोत्सव तक का सफर 1994 में शुरू हुआ भोरम देव महोत्सव हुआ 29 बरस का : चंद्र शेखर शर्मा
कवर्धा -भोरमदेव में प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तेरस को दशकों से बैगा आदिवासी बाबा भोले नाथ जिसे वे आदि देव बूढ़ादेव [more…]
एक माफी का सवाल है, बाबा! (व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा)
विपक्ष वालों ने भी हद्द ही नहीं कर रखी है! आखिर, मोदी जी की सेना उनसे एक छोटी-सी माफी मांगने की मांग ही तो कर [more…]
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम टेक इट ईज़ी अध्यक्ष खड़गे न खड़का सके पत्ता जमी थीं जड़ें जहां,वहां से भी गयी सत्ता राहुल उलटी दौड़ क्यों जारी है सच पर चम्मच क्यांे भारी है
बदनियत पड़ोसी की लाईट जलाते हैं मोदीजी मैं बहुत दयालु और उदार और मानवीय आदमी हूं। नहीं … नहीं…. आदमी नहीं इंसान हूं। यानि इंसानियत [more…]
मराठा मंदिर की कृपा से हुई समीर कक्कड़ नुक्कड़ के खोपड़ी की एक्टिंग की शुरुआत
71 वर्ष की उम्र में हाल ही दुनिया से रुखसत हुए समीर कक्कड़ उर्फ खोपड़ी ने सीमित अवसरों को भुनाते हुए अपनी अलग पहचान बना [more…]
ग़ालिब न वो समझे हैं, न समझेंगे डेमोक्रेसी की मम्मी की बात! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
चचा ग़ालिब ने तो गोरों के लिए तभी कह दिया था — ग़ालिब न ये समझे हैं, न समझेेंगे मेरी बात! जो गोरे उस शायर [more…]
प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ भारत की लड़ाई
क नई रिपोर्ट के अनुसार, जी20 देशों में प्लास्टिक की खपत 2050 तक लगभग दोगुनी होने की उम्मीद है। इसलिए खतरे को भांपते हुए कॉटन, [more…]