भिलाई। दशहरा मैदान रिसाली में आयोजित श्रीमद् जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ के पहले दिन मंगलवार को आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी को भक्तों ने दशहरा मैदान के लिए श्रीफल अर्पण कर नमोस्तू करते हुए निवेदन किया। जहां आचार्य श्री का जगह जगह आत्मीय अभिनंदन छत्तीसगढ़ लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति देते हुए गाजे-बाजे के साथ मल्लीनाथ दिगबंर जैन मंदिर से आयोजन स्थल तक त्रिशला महिला मंडल समिति एवं पुरुष वर्ग द्वारा जयकारा के साथ नमोस्तु करते हुए कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ किया। इस दौरान प्रतिष्ठाचार्य ने मंत्रोच्चार के साथ ध्वजा रोहण क्रिया आचार्य श्री के अमृत वचनों से शुभारंभ करवाया।
गर्भकल्याण दिवस पर पंचकल्याण महोत्सव के ध्वजारोहण कार्यक्रम के मुख्यअतिथि विनोद बड़जात्या एवं विनोद जैन ने आचार्य श्री को नमोस्तु करते हुए स्थल शुद्धि के साथ मंगल दीप प्रज्ज्वलन कर ध्वज फहराया। इस अवसर पर भिलाई दुर्ग व छत्तीसगढ़ के सभी जैन मंदिर के सैकड़ों भक्त उपस्थित रहते आचार्य श्री को नमोस्तु कर आशीर्वाद ग्रहण किया। इस अवसर पर मंगलाचरण त्रिशला महिला मंडल की महिलाएं केसरिया साड़ी के साथ अपने शीश पर कलश रखकर आचार्य श्री को वंदन करने के पश्चात ध्वज के मंगल गीत गाए।
इसके बाद मंडप का उद्घाटन आचार्य श्री के सानिध्य में अतिथियों द्वारा किया गया। जहां आचार्य श्री को मंच में पाद प्रच्छालन कर श्रीफल अर्पण करते हुए नमोस्तु कर आशीर्वाद पंचकल्याणक महोत्सव समिति के अध्यक्ष दिनेश जैन, मुख्य संयोजक प्रशांत जैन, स्वागत अध्यक्ष राकेश जैन, महामंत्री कमलेश जैन, कोषाध्यक्ष विजय कुमार जैन, प्रचार प्रसार प्रभारी प्रदीप जैन बाकलीवाल, मंत्री सुलभ जैन, पुनित जैन, विनय जैन, संतोष जैन, जिनेन्द्र जैन आदि ने ग्रहण किया। जहां श्रीचंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र कमेटी द्वारा अतिथियों का शॉल व श्रीफल और माल्यार्पण के साथ अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज के अमृत वचनों से आज के शांतिधारा का सौभाग्य विनोद बड़जात्या और विनोद जैन को मिला। मंच का संचालन प्रतिष्ठाचार्य के साथ मुख्य संयोजक प्रशांत जैन ने किया। अध्यक्ष दिनेश जैन ने सभी का स्वागत किया।
आचार्य श्री ने बताई योग्य व अयोग्य की परिभाषा
इस अवसर पर आज आचार्य श्री ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन सुख से जीना चाहिए। आचार्य श्री ने योग्यता व अयोग्यता को परिभाषित करते हुए उत्तम विचार प्रस्तुत किए। इस दौरान उपस्थित लोगों ने उनके प्रवचनों को ध्यान से सुना। आचार्य श्री ने कहा कि अयोग्यता में ही योग्यता होती है। एक उदहारण देते हुए उन्होंने कहा कि मानव जन्म लेने के बाद पहली बार जब स्कूल जाता है तो उसके पास क्या होता है। आचार्य ने कहा कि स्कूल में पहले दिन पहुंचे बच्चे के पास कोई ज्ञान नहीं होता अर्थात वह अयोग्य होता है। ऐसा नहीं है कि उसमें योग्यता नहीं लेकिन उसके पास जानकारी का आभाव होता है। केवल उसे जानकारी देनी होती है और वह योग्य बन जाता है। आचार्य श्री ने कहा कि जो वर्तमान में जो व्यक्ति वर्तमान को ही जीता है उसका भूत और भविष्य दोनों बिगड़ जाते हैं।
जानकारी देते हुए प्रचार प्रसार प्रभारी प्रदीप जैन बाकलीवाल ने बताया कि 16 नवम्बर 2022 को जन्म कल्याणक महोत्सव के तहत प्रातः 6:30 श्री जिन शान्त्यभिषेक, पूजनादि, गर्भ कल्याणक, प्रातः 7:30 तीर्थकर जन्म, त्रिभुवन हर्ष, सौधर्मेन्द्र देव परिवार समूह राजभवन में प्रवेश, बधाईयां नृत्यादि, आचार्य श्री का मंगल प्रवचन । दोपहर 1:00 पांडुकशिला शोभायात्रा, जन्माभिषेक, श्रृंगारादि दोपहर 2:00 राजदरबार में बधाईयां, सौधर्म इन्द्र का तांडव नृत्य, नव निर्मित वेदी, शिखर शुद्धि आचार्य श्री का मंगल प्रवचन तथा संध्या 6:30 श्री जी की महाआरती, शास्त्र सभा, तीर्थकर बालक का पालना झूलना, बाल क्रीड़ादि, सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
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