गेवरा (कोरबा)। कोरबा क्षेत्र में छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में भूविस्थापितों के आंदोलन का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। एसईसीएल प्रबंधन कुसमुंडा क्षेत्र में भूविस्थापितों के 500 दिनों से चल रहे अनवरत धरना से पहले से ही परेशान है, वहीं आज किसान सभा ने सैकड़ों भूविस्थापितों के साथ गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर दिया और रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा संबंधी मांगें पेश कर दी। इन मांगों पर कार्यवाही न होने की स्थिति में किसान सभा ने 15 मार्च को गेवरा खदान बंद करने की चेतावनी भी प्रबंधन को दी है।
छग किसान सभा ने नरईबोध गांव में रोजगार और बसावट की समस्या का समाधान किये बिना खनन कार्य शुरू करने का विरोध किया है। कोरबा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि एसईसीएल द्वारा पूर्व में अधिग्रहित गेवरा क्षेत्र के घाटमुड़ा, बरेली, बिंझरा, कोसमंदा, जुनाडीह आदि गांवों के लोगों को अभी तक बुनियादी मानवीय सुविधाओं के साथ बसाहट नहीं दी गई है और न ही यहां के लंबित रोजगार प्रकरणों का निराकरण किया गया है। ऐसे में नरईबोध गांव में खनन कार्य शुरू करने की इजाजत प्रबंधन को नहीं दी जाएगी। किसान सभा नेता ने कहा कि समस्याओं की ओर कई बार प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन इन समस्याओं के निराकरण के प्रति प्रबंधन गंभीर नहीं है।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने खनन प्रभावित छोटे-बड़े प्रत्येक खातेदार को स्थाई नौकरी देने की मांग एसईसीएल प्रबंधन से की है। पुनर्वास गांव गंगानगर में तोड़े गये मकानों और शौचालयों का क्षतिपूर्ति का मुआवजा भी तत्काल दिये जाने की उन्होंने मांग की है।
प्रबंधन को ज्ञापन सौंपने वालों में रामायण सिंह कंवर,संजय यादव, पुरषोत्तम कौशिक, दामोदर, बसंत, उमेश, शिवदयाल, वीर सिंह, नरेंद्र राठौर, जय कौशिक, सुमेन्द्र सिंह ठकराल, तेज सिंह कंवर, सुभद्रा कंवर, कांति, पूर्णिमा, जीरा बाई, कंचन, जान कुंवर, लक्ष्मी, गणेशा, सुकल, सुकन्या, कुसुम, कनकन, बंधन आदि मुख्य रूप से शामिल थे। इस ज्ञापन की प्रति विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों को भी भेजी गई है।
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