रायपुर । इस हड़ताल में नौ विभिन्न यूनियन,संगठनों से जुड़े प्रदेश भर के लगभग नौ हजार अधिकारी कर्मचारी अवकाश पर रहकर प्रबंधन तक अपनी बात पहुंचाएंगे। कार्यालयीन अधिकारी-कर्मचारी के साथ ही बड़ी संख्या में मैदानी अमले के सामूहिक अवकाश में शामिल होने से प्रदेशभर में बिजली आपूर्ति बाधित होने की आशंका है।
इस बीच कंपनी प्रबंधन द्वारा सामूहिक अवकाश पर रहने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का परिपत्र जारी किया गया है। परिपत्र को कर्मचारी संगठनों ने अनुचित तथा श्रम कानूनों का उल्लंघन बताया है। इससे पहले अपनी मांगों को लेकर संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर बिजली कर्मी 16 जुलाई 2023 से विरोध प्रर्दशन करते हुए काली पट्टी लगाकर काम करते आ रहे हैं।
साथ ही 28 जुलाई 2023 को पुरानी पेंशन योजना लागू किए जाने की मांग को लेकर कंपनी मुख्यालय में बड़ी आमसभा कर चुके हैं।मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सामूहिक अवकाश के उपरांत भी कंपनी प्रबंधन पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के संबंध में सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है, तो कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी छह सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे।
कांग्रेस शासित राज्यों में यथा राजस्थान, हिमाचल प्रदेश आदि में राज्य शासन के कर्मचारियों के साथ-साथ संबंधित राज्य की पावर कंपनियों में भी पुरानी पेंशन योजना बहाल की जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य शासन के तीन लाख से अधिक कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजन पहले ही लागू कर दी है।
वहीं पावर कंपनी प्रबंधन द्वारा एनपीएस वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू ना करके कुछ मामलों में केन्द्र सरकार के निर्णयानुसार 23 दिसंबर 2003 के पूर्व विज्ञापित पदों पर नियुक्त कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है। इस तरह पावर कंपनी प्रबंधन मनमर्जी से एनपीएस वाले राज्य विद्युत कर्मियों के हितों के साथ खिलवाड़ करते हुए केंद्र और राज्य दोनों में लागू होने वाले कम लाभप्रद नियमों को ही खिचड़ी बनाकर लागू कर रहा है।
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