Calcutta High Court: कलकत्ता हाई कोर्ट ने हनुमान जयंती पर ममता बनर्जी सरकार को कड़ी सुरक्षा के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि अगर जरूरत पड़े तो केंद्रीय बलों की तैनाती की जाए। रामनवमी शोभायात्रा के दौरान हावड़ा में हिंसा हुई थी। इसके बाद हुगली में भी शोभायात्रा पर हमला हुआ था।
हाइलाइट्स
- हनुमान जयंती से पहले कलकत्ता हाई कोर्ट का सख्त निर्देश
- कहा- बंगाल पुलिस से न संभले तो पैरा मिलिट्री लगाई जाए
- हावड़ा और हुगली में रामनवमी शोभायात्रा पर हुए थे हमले
- ममता बनर्जी से हाई कोर्ट ने हिंसा पर तलब की थी रिपोर्ट
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर शोभायात्रा के दौरान हिंसा के बाद ममता बनर्जी सरकार सवालों के घेरे में है। इस बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने हनुमान जयंती के संबंध में ममता बनर्जी सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर बंगाल पुलिस हालात नहीं संभाल पा रही है तो केंद्रीय बलों को तैनात किया जाए। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि जिस इलाके में धारा 144 लगी है, वहां से होकर जुलूस न निकले। रामनवमी पर हावड़ा के बाद हुगली में भी हिंसा हुई थी। इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार से रिपोर्ट तलब की थी।
धारा 144 वाले इलाकों से न निकले जुलूस: हाई कोर्ट
पश्चिम बंगाल में पिछले छह दिन से चल रही हिंसक घटनाओं पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर बंगाल पुलिस से नहीं संभलता है तो जुलूस वाले इलाकों में जरूरत पड़ने पर पैरामिलिट्री फोर्स यानी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तैनाती की जाए। अदालत में सुनवाई के दौरान एक महिला वकील ने दलील दी कि शोभायात्रा के दौरान पथराव में उन्हें चोटें आई थीं। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ममता सरकार से पूछा कि हनुमान जयंती की क्या तैयारी है? कोर्ट ने साथ ही ममता सरकार को निर्देश दिया कि जहां-जहां धारा 144 लगी हो, वहां से हनुमान जयंती का जुलूस या शोभायात्रा न निकाली जाए। कोर्ट ने जुलूस के दौरान ममता सरकार को सुरक्षा इंतजाम दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
कलकत्ता हाई कोर्ट में दी गईं तल्ख दलीलें
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील ने ममता सरकार के खिलाफ दलील देते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है कि हमारे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। वह किसी एक समुदाय के खिलाफ बयान देती हैं। क्या एक सीएम इस तरह से एकतरफा बयान दे सकता है?’ ममता बनर्जी के एक बयान का जिक्र करते हुए वकील ने कहा, ‘ममता बनर्जी ने कहा कि यह मोहर्रम का महीना है। मुस्लिम कुछ भी गलत नहीं कर सकते। यह हिंदुओं के ऊपर है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हिंदुओं को उनकी रक्षा करनी चाहिए।’
हिंदुओं और मुस्लिमों में क्यों विभाजित कर दिया: वकील
वकील ने ममता सरकार के रुख का विरोध करते हुए कहा, ‘इस बयान का क्या मतलब है? क्या एक सीएम इस तरह से पूर्वाग्रह वाले बयान दे सकता है? उन्होंने राज्य को हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच क्यों विभाजित कर दिया है? जनता के मंच से उनके बयानों से भी हिंसा भड़कती है। आपके (ममता बनर्जी) के आदेशों के बावजूद हुगली में रेलवे स्टेशन के पास हिंसा भड़की। जो पत्थर फेंके गए, उनका मैं खुद शिकार बनी। उपद्रवियों पर लाठीचार्ज करने तक के निर्देश नहीं दिए गए थे। उन्हें (ममता बनर्जी सरकार को) सच्चाई पता है कि वे उपद्रवी कौन थे।’ इस दौरान महिला वकील ने ममता सरकार के रवैए पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल (महाधिवक्ता) कहते हैं कि रामनवमी और हनुमान जयंती हाल के दिनों का फैशन है। क्या हम किसी समुदाय के लिए ऐसा कह सकते हैं? अगर यह एक फैशन भी है और अगर लोग सड़क पर हैं तो क्या हम उन्हें रोक सकते हैं? मोहर्रम और ईद के जुलूस पर भी क्या वह यही नियम लागू कर सकते हैं?’
30 मार्च को हावड़ा में रामनवमी शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। शिवपुर इलाके में कई दिन तक तनाव रहा। इसके बाद दो अप्रैल को हुगली के रिसड़ा में शोभायात्रा पर पथराव की घटना सामने आई। रेलवे स्टेशन के पास शोभायात्रा को निशाना बनाया गया। बंगाल बीजेपी के चीफ सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी सिर्फ एक धर्म की मुख्यमंत्री हैं। वहीं ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए कहा कि रामनवमी हिंसा बीजेपी की साजिश है। ममता ने यह भी कहा कि ‘बाम’ (सीपीएम) और ‘राम’ (बीजेपी) ने बंगाल में हाथ मिला लिया है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हनुमान जयंती की तैयारी के लिए सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। राज्य सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही, त्योहार का शांतिपूर्ण पालन करने और समाज में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले किसी भी तत्व की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
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