जम्मू-कश्मीर के दो जिले फिर आतंकियों के रडार पर

Estimated read time 1 min read

रायपुर ।  (LoC) पर गतिविधि में वृद्धि के बारे में चिंता जताई है, जिसके परिणामस्वरूप घुसपैट की कोशिशों के स्तर में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, ”इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इनक्षेत्र से घुसपैठ हो रही है. एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यदि सुरक्षा बलों द्वारा प्रयासों को विफल कर दिया जा रहा है तो किसी अन्य समूह का पता न चल पाने की संभावना अपेक्षाकृत अधिक है. हालांकि, इस साल अब तक घुसपैठ का स्तर सबसे कम है अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की रणनीति साफ है कि भले ही 20-30 फीसदी घुसपैठिए मुठभेड़ों में मार गिराए जाएं, लेकिन और आतंकियों को LoC के पास भेजते रहें.

उन्होंने आगे कहा, “यह सभी मौसमों के लिए उपयुक्त मार्ग है, जिससे उन्हें भी फायदा होता है और वे आसानी से घाटी पार कर सकते हैं.” लेकिन जो तथ्य अब एजेंसियों को इन इलाकों में फेरबदल करने के लिए मजबूर कर रहा है, वह हताहतों की संख्या है, जो सेना इन क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों से झेल रही है.

सरकार के अनुसार, 21 अक्टूबर से इन क्षेत्रों में तीन अधिकारियों और पांच पैराट्रूपर्स और सात नागरिकों सहित कुल 26 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं. एजेंसियों ने जमीन  स्तर पर काम कर रहे सुरक्षा बलों को भी चेतावनी दी है. इनपुट से यह भी पता चलता है कि आने वाले दिनों में घुसपैठ की कोशिशें बढ़ सकती हैं .

उन्होंने आगे कहा, “अब अधिक आक्रामक CASO इंटेलिजेंस आधारित ऑपरेशनों को अंजाम दिया जा रहा है उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वास्तव में यह भी संकेत दिया कि राजौरी और पुंछ क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा नई रणनीति अपनाई जा रही है

दिलचस्प बात यह है कि जम्मू और कश्मीर के लिए जारी हालिया मानवाधिकार रिपोर्ट में भी इस बात पर प्रकाश डाला गया था किरिपोर्ट में कहा गया है, “दशकों की शांति के बाद, जम्मू संभाग में पुंछ और राजौरी जिलों के सीमावर्ती इलाके पूर्व राज्य के पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्रों से सीमा पार समर्थन के साथ आतंकवाद के ठिकाने के रूप में फिर से उभर रहे हैं.

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours