खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर आरोप लगाकर कनाडा के पीएम जस्टिस ट्रूडो फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल जस्टिन ट्रूडो अपने आरोपों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए हैं, वहीं भारत ने जिस तरह से कनाडा के आरोपों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है, उससे खुद कनाडा के प्रधानमंत्री भी हैरान होंगे। कनाडा के सहयोगी ‘फाइव आइज’ (अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) देशों से भी अब उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा है। अब अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने जस्टिन ट्रूडो की तीखी आलोचना की है और आरोप लगाया है कि ट्रूडो बिना सोचे समझे भारत पर आरोप लगा रहे हैं और इसमें वह फंस गए हैं।
पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने भारत कनाडा विवाद पर कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि कनाडा के सहयोगी देश जस्टिन ट्रूडो की थ्योरी से सहमत हैं। जब जमाल खाशोगी की इंस्तांबुल में हत्या हुई थी तो उस वक्त तुर्किए ने कई अहम सबूत दिए थे, जिसके चलते सऊदी अरब की दुनियाभर में आलोचना हुई थी। लेकिन जस्टिन ट्रूडो बिना सोचे समझे आरोप लगा रहे हैं और वह अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर सके हैं। जब ट्रू़डो कहते हैं कि उन पर विश्वास कीजिए तो कोई भी उन पर विश्वास नहीं करता। यह सबकुछ चुनाव प्रचार के लिए हो रहा है, जिसमें ट्रूडो हारते दिख रहे हैं। यही वजह है कि अमेरिका समेत फाइव आइज देश इस मुद्दे पर कनाडा का साथ नहीं दे रहे हैं।’
माइकल रुबिन ने कहा कि ‘हरदीप सिंह निज्जर कोई शरीफ आदमी नहीं था। उसके हाथों पर खून लगा है और वह कई हमलों में शामिल रहा। हरदीप सिंह निज्जर भी वैसे ही प्लंबर था, जैसे ओसामा बिन लादेन कंस्ट्रक्शन इंजीनियर था। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अपने बयान में कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय उत्पीड़न के खिलाफ हैं लेकिन अगर वह ऐसा कह रहे हैं तो हम पाखंड कर रहे हैं क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय उत्पीड़न नहीं है बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद है। अमेरिका ने जो कासिम सुलेमानी के साथ किया या ओसामा बिन लादेन के साथ किया, उसमें और भारत ने जो किया, उसमें अंतर नहीं है।’
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