नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार के खिलाफ पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन के दौरान एक 22 वर्षीय किसान की कथित तौर पर पुलिस की गोली लगने से मौत मामले में उच्च न्यायालय की ओर से दिये गये न्यायिक जांच के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। यह युवक केंद्र सरकार से अपने फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून लागू करने की मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा पर आंदोलन करने वाले किसानों में शामिल था। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने हरियाणा सरकार की यह दलील कि उच्च न्यायालय के आदेश से पुलिस बल के मनोबल पर असर पड़ेगा, खारिज करते हुए कहा कि इस आशंका (मनोबल गिरने का) का कोई आधार नहीं है। पीठ ने कहा कि न्यायिक जांच के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वालों के पास “कुछ वास्तविक आशंकाएं” हैं। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आंदोलनकारी किसान की मौत के मामले की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और दो अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) की एक समिति गठित करने का आदेश पारित किया था। न्यायालय ने यह आदेश सात फरवरी को दिया था। शीर्ष अदालत की पीठ के समक्ष हरियाणा सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि जांच के आदेश से पुलिस बल के मनोबल पर असर पड़ेगा।
हरियाणा-पंजाब सीमा पर आंदोलनरत किसान की मौत की न्यायिक जांच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज
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