किसान कर्जनके बोझ तले मरता है।
जब किसी गरीब के बच्चे भूखे सोते हैं।
जब फीस ना भर पाने के कारण किसी के डाक्टर इंजीनियर बनने के सपने टूट जाते है ।
जब इलाज के आभाव में तड़फकर जान जाती है। जब लाश कांधे पर ढोई जाती ।
जब बलात्कार पीड़िता इंसाफ की आस लगाए सिस्टम के आगे हार कर मर जाती है ।
जब रिश्वतरानी योग्यता को दरकिनार कर आयोग्य को चुनती है ।
जब कुर्सि के खेल में आत्मा गिरवी रख रिसार्ट में अय्याशियों का नंगा नाच होता है ।
देश तो तब भी हारता है साहब जब सिगरेट पीती लड़की को देखते ही आंखे खुल जातीं है किंतु सरेराह छेड़ी जाती बहन बेटियों को देख आंख बन्द हो जाती है ।
देश तब भी हारता है जब अन्याय को होता देख कर भी चुप रह जाते है ।
#जय_हो 13.11.22 कवर्धा (छ. ग.)
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