नयी दिल्ली/रायपुर. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को बिलासपुर के सांसद अरुण साव को पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया. पार्टी की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में यह सांगठनिक फेरबदल किया है.
साव, विष्णुदेव साय का स्थान लेंगे. वह 53 वर्ष के हैं और पहली बार 2019 का लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने थे. साव ने छात्र जीवन से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हुए थे. रायपुर में भाजपा नेता नरेश गुप्ता ने बताया कि राज्य के मुंगेली जिले में 25 नवंबर 1968 को जन्मे साव का परिवार आरएसएस से जुड़ा रहा है तथा वह स्वयं उसके कार्यकर्ता रहे हैं.
गुप्ता ने बताया कि पेशे से अधिवक्ता साव पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के शासनकाल में उप महाधिवक्ता भी रहे हैं. इसके अलावा वह भारतीय जनता युवा मोर्चा में भी पदाधिकारी रहे हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पिछड़े वर्ग में बहुसंख्यक साहू समाज से आने वाले साव को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपा जाना महत्वपूर्ण है.
राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग लगभग 44 फीसदी है और इनमें ज्यादातर संख्या साहू समाज की है. साव भी इस समाज से आते हैं.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं, हालांकि वह कुर्मी समाज से हैं. जानकारों का कहना है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर भाजपा ने इस वर्ग को सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है. लेकिन राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस ने विष्णुदेव साय के स्थान पर साव की नियुक्ति को भाजपा की आदिवासी विरोधी सोच करार दिया है.
कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, ‘‘विश्व आदिवासी दिवस के दिन भाजपा द्वारा आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को अध्यक्ष पद से हटाया जाना, भाजपा की आदिवासी विरोधी सोच को दर्शाता है.’’
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