नयी दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को चौंकाने वाला एक दावा करते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि छत्तीसगढ़ के कुछ संवैधानिक पदाधिकारी राज्य में करोड़ों रुपये के नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला से जुड़े धन शोधन के एक मामले में कुछ आरोपियों की मदद के लिए उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के संपर्क में हैं.
धन शोधन रोधी जांच एजेंसी की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह दलील दी. ईडी ने मामले की सुनवाई छत्तीसगढ़ से बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट शामिल हैं. शीर्ष न्यायालय ने ईडी द्वारा सीलबंद लिफाफे में उपलब्ध कराई गई सामग्री का संज्ञान लिया और राज्य सरकार तथा अन्य पक्षों को सीलबंद लिफाफे में ऐसे दस्तावेज सौंपने को कहा, जिन्हें वे दाखिल करना चाहते हैं.
पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तारीख निर्धारित करते हुए पक्षकारों को ईडी की अर्जी सुनवाई योग्य होने या नहीं होने के विषय पर भी लिखित दलीलें पेश करने को कहा. विधि अधिकारी मेहता ने आरोप लगाया कि राज्य के कुछ उच्च संवैधानिक पदाधिकारी विशेष जांच दल के साथ आरोपियों की मिलीभगत से मामले को ‘कमजोर’ कर रहे हैं. आरोपियों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के दो अधिकारी भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि आरोपियों ने ईडी के समक्ष दिये बयान वापस लेने के लिए न सिर्फ गवाहों को प्रभावित किया, बल्कि यहां तक कि एसआईटी ने कार्यवाही रोकने के लिए कई कोशिशें की. उन्होंने पीठ से कहा, ‘‘यदि यह सार्वजनिक हो जाता है तो यह प्रणाली में लोगों का विश्वास घटा सकता है. उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश उन संवैधानिक पदाधिकारियों के संपर्क में हैं जो आरोपियों की मदद कर रहे हैं. ’’ मेहता ने कहा कि वह इन नामों को सार्वजनिक नहीं करना चाहते.
उन्होंने कहा कि मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की ईडी की अर्जी को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए छह बार उल्लेख किया गया. हालांकि, पीठ ने कहा, ‘‘सीलबंद लिफाफे में जो कुछ दस्तावेज हैं, हमने उन्हें नहीं देखा है लेकिन सॉलिसीटर जनरल ने अनुरोध किया है कि हमें उन्हें देखना चाहिए, इसलिए हम उन्हें देखेंगे. यदि हमें लगा कि सामग्री सार्वजनिक करनी है तो हम इसकी अनुमति दे देंगे. ’’
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