कोहका माइनर कैनाल रोड मामले में उच्च न्यायालय ने एक बार फिर जवाब मांगा

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कोहका माइनर कैनाल रोड मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच ने सरकारी पक्ष के रवैये पर ऐतराज जताते हुए फिर से अपना उत्तर दाखिल करने को कहा है। सुनवाई के दौरान न्यायालय में सरकारी पक्ष और मैसर्स रामनिवास अग्रवाल के अधिवक्ताओं की तरफ से यह कहा गया कि रोड पूरी बन चुकी है और उसका लोकार्पण भी हो चुका है इसलिए अब इस मामले में सुनवाई के लिए कुछ नहीं बचा है। जबकि अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी ने लोकहित संरक्षण में अपनी बहस करते हुए अधूरे कामों की सूची बताकर न्यायालय से संरक्षण की मांग की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोकार्पण का अर्थ यह नहीं होता कि काम पूरा हो चुका है। कार्य पूर्णता का प्रमाण पत्र भी जमा नहीं किया गया। इसलिए आवेदक अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी के पक्ष को स्वीकार करते हुए सरकारी पक्ष को 21 दिनों के भीतर पुनः त्रिपाठी के तर्कों का लिखित जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। सतीश कुमार त्रिपाठी ने बताया है कि कोहका कैनाल माइनर लिंक रोड में किसी भी जगह चौराहे नहीं बनाए गए हैं। जो एक्सीडेंट का कारण है। ऐसे लोग जिनकी रजिस्ट्रीकृत जमीन सड़क पर है उनका व्यवस्थापन किया जाना भी पूरा नहीं किया गया। सड़क के किनारे अवैध कब्जे हैं। लोगों ने सड़क के ऊपर छत बनाकर आज भी निर्माण कर रखा है। ठेके में सिर्फ सड़क बनाना ही नहीं बल्कि “व्यूटीफिकेशन वर्क” भी था। ब्यूटीफिकेशन के नाम पर कहीं कोई सौंदर्य नहीं दिखता। चंपा के फूलों से सजा कर सड़क बनाए जाने की बात कही गई थी वह भी कहीं नहीं हुआ। अधिवक्ता सतीश त्रिपाठी ने कहा है कि इस मामले में ठेकेदार कंपनी पर जुर्माना लगाने सहित भविष्य में किसी प्रकार के टेंडर न दिए जाने का अनुरोध भी न्यायालय से किया जाएगा।

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