अब क्या सुप्रीम कोर्ट को भी क्या मोदी विरोधियों वाली बीमारी लग गयी है। बताइए, मोदी जी जो भी करें, उसी से दिक्कत है। चुनाव आयोग में सीट छ: महीने से ज्यादा खाली रखी, तो प्राब्लम कि सीट इतने दिन खाली क्यों रखी। अब जब ताबड़तोड़ अरुण गोयल साहब को चुनाव आयोग में बैठाया है, तो कहते हैं कि ऐसी बिजली की–सी तेजी कैसे? इसमें कोई गड़बड़ी तो नहीं है! सरकार से अपाइंटमेंट की फाइल तलब कर के माने। पीएम जी करेंगे, तो भी कहेंगे कि करता है!
खैर! जब देसी विपक्ष वाले ही नहीं, दुनिया भर के विरोध करने वाले भी, मोदी जी को करने से नहीं रोक पाए, तो सुप्रीम कोर्ट क्या ही रोक लेगा। मोदी जी न रुकेंगे, न झुकेंगे और करने के पथ से पीछे कभी नहीं हटेंगे। और भाई जब करने वाला करता है, तो जाहिर है कि अपने मन की ही करेगा। आखिर, 130 करोड़ लोगों ने और किस लिए चुना है; दूसरों के मन की करने के लिए! दूसरों की मुंहदेखी करने की उम्मीद मोदी जी से कोई नहीं करे। जब गोयल साहब को कुर्सी पर बैठाने की मन में आ गयी, फिर देर क्यों लगती? इस्तीफा, अपाइंटमेंट, जॉइनिंग, सब फटाफट होना ही था। किस की हिम्मत है, जो पीएम के मन की बात पूरी होने में देरी कराए! नियम-कायदों की क्या औकात जो पीएम की मन की बात के रास्ते में आएं। रही बात बिजली की रफ्तार की, तो मोदी जी की सरकार की तो यही तूफानी चाल है। लटकाने, भटकाने, अटकाने के जमाने तो कब के जा चुके ; अब तो मोदी जी की मन की बात को अटकाने वाले कायदे-कानूनों को ही लटकाने के दिन चल रहे हैं। अगर एक सौ तीस करोड़ का पीएम भी अपने मन की नहीं कर सकता है, तो फिर कौन करेगा!
पचहत्तर साल बाद तो कहीं जाकर देश को एक करू नेता मिला है; उसके भी करने में कोर्ट-वोर्ट टांग अड़ाने लग जाएं, यह क्या अच्छी बात है! मोदी जी अब नहीं रुकेंगे। उल्टे जानकार सूत्रों से आयी लेटेस्ट खबर तो यह है कि मोदी जी ने पहले अठारह घंटे को बढ़ाकर बीस किया, अब बाईस घंटे काम कर रहे हैं। कोर्ट की टोका-टोकी के बाद, दो घंटे और बढ़ा दिए तो!
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