पीएमएफबीवाई विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बनने की राह पर; हर वर्ष योजना के तहत लगभग पांच करोड़ किसानों के आवेदन मिलते हैं
पिछले छह वर्षों में 25,186 करोड़ रुपये का प्रीमियम चुकाया गया और किसानों को 1,25,662 करोड़ रुपये प्राप्त हुये
महाराष्ट्र के कुछ जिलों में किसानों को बीमा दावों पर मामूली रकम मिलने की खबरें तथ्यात्मक रूप से गलत, क्योंकि ज्यादातर दावे आंशिक थे और वह वास्तविक रकम नहीं थी
महाराष्ट्र सरकार ने प्रावधान किया है कि हर विशिष्ट किसान पहचान-पत्र के आधार पर न्यूनतम 1000 रुपये के दावे का भुगतान किया जायेगा
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने आज फिर कहा है कि सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अबाध प्राकृतिक जोखिमों के मामले में फसलों के नुकसान पर समग्र बीमा कवच प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना विश्व की तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा है और आने वाले वर्षों में वह पहले नंबर पर हो जायेगी, क्योंकि योजना के तहत हर वर्ष लगभग पांच करोड़ किसानों के आवेदन प्राप्त होते हैं। किसानों के बीच योजना की स्वीकार्यता भी पिछले छह वर्षों में बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि इस क्रम में 2016 में अपनी शुरूआत के बाद से ही योजना में गैर-कर्जदार किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की संख्या में 282 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
पिछले छह वर्षों में प्रीमियम के रूप में किसानों ने 25,186 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जबकि 31 अक्टूबर, 2022 तक किसानों को उनके दावों के आधार पर 1,25,662 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्य सरकारें योजना के तहत अधिकतम प्रीमियम वहन करती हैं।
जिन राज्यों ने योजना को लागू किया है, वे आगे बढ़ रहे हैं और उन राज्यों में रबी 22-23 के तहत किसानों का पंजीकरण भी बढ़ रहा है। तथ्यात्मक रूप से गलत एक रिपोर्ट (जैसा कि मामले की जांच करने पर पता चला) मीडिया के कुछ वर्गों में प्रकाशित हुई थी, जिसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र के कुछ जिलों में किसानों को बीमा दावे की मामूली रकम चुकाई गई।
मंत्रालय ने रिपोर्ट में छपे मामलों की जांच की, हालांकि विशिष्ट आंकड़ों के अभाव के कारण केवल एक किसान का संकेत मिला था, जिनका नाम श्री पांडुरंगा भास्कर राव कदम है। समाचार में बताया गया था कि उक्त किसान ने कुल 595 रुपये का प्रीमियम अदा किया और उसे एक फसल के लिये 37.31 रुपये और दूसरी फसल के लिये 327 रुपये की बीमा राशि का भुगतान किया गया। लेकिन वास्तविक दावे के आंकड़े के अनुसार, अद्यतन, उक्त किसान को कुल 2080.40 रुपये की रकम अदा की गई, जो उसके द्वारा दिये गये प्रीमियम का लगभग चार गुना है। यह दोबारा स्पष्ट किया जा रहा है कि 2080.40 रुपये की रकम आंशिक दावे पर आंशिक भुगतान की रकम है, न कि वास्तविक रकम का भुगतान। पांडुरंगा राव को और रकम मिल सकती है, जिसके लिये दावे का अंतिम निपटारा होना है। उल्लेखनीय है कि परबनी जिले में कुछ किसानों को बीमा दावे के रूप 50 हजार रुपये से अधिक की रकम मिली है, जिनमें एक किसान ऐसा भी है, जिसे 94,534 रुपये का भुगतान किया गया है। यह रकम जिले में अंतिम निस्तारण के पहले की है।
परबनी जिले में 6.67 लाख किसानों ने आवेदन दिये थे, जिनमें किसानों 48.11 करोड़ रुपये का प्रीमियम अदा किया था, जबकि 113 करोड़ रुपये अब तक उन्हें बीमे के रूप में चुकाये गये हैं। बहरहाल, वे किसान जिनके बीमा दावे 1000 रुपये से कम के हैं, उन्हें अंतिम निपटारे के समय इसका भुगतान कर दिया जायेगा। इसमें शर्त यह होगी कि अगर कोई दावा किया जाता है, तो न्यूनतम 1000 रुपये की रकम वैयक्तिक रूप से किसान को अदा कर दी जायेगी।
महाराष्ट्र सरकार ने सूचित किया है कि 79.53 लाख आवेदनों में से खरीफ-22 में, राज्य में लगभग 283 आवेदनों में बीमित रकम 100 रुपये से कम है तथा 21,603 आवेदनों के आधार पर बीमित रकम 1000 रुपये से कम है। कुछ किसानों ने अनेक आवेदन किये हैं और कुछ मामलों में कुल दावों में कमी इसलिये है क्योंकि उनका बीमित रकबा कम है। इस समस्या से निपटने के लिये महाराष्ट्र सरकार ने प्रावधान किया है किसी भी विशिष्ट किसान पहचान-पत्र को आधार बनाकर न्यूनतम 1000 रुपये का दावा अदा कर दिया जायेगा।
योजना को बीमा आधारित/बोली आधारित प्रीमियम दरों पर लागू किया जा रहा है, हालांकि छोटे किसानों सहित सभी किसानों को खरीफ के लिये अधिकतम दो प्रतिशत, रबी खाद्यान्न व तिलहन के लिये 1.5 प्रतिशत और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिये पांच प्रतिशत का भुगतान करना होगा। इन सीमाओं से अधिक का प्रीमियम केंद्र व राज्य सरकारें 50:50 के आधार पर वहन करेंगी। खरीफ 2020 से पूर्वोत्तर राज्यों में यह अनुपात 90;10 होगा। योजना बीमा सिद्धांतों पर चलती है, इसलिये बीमित रकबा कितना है, नुकसान कितना हुआ, बीमित रकम कितनी है, इन सबको दावे का निपटारा करते वक्त ध्यान में रखा जाता है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजान के संचालन और उसका दायरा बढ़ाने में बहुत सहायक हैं। एग्री-टेक और ग्रामीण बीमा वित्तीय समावेश के लिये जादुई नुस्खा हो सकते हैं, जो योजना के प्रति विश्वास बढ़ायेंगे। हाल में मौसम सूचना और नेटवर्क डाटा प्रणाली (विन्ड्स), प्रौद्योगिकी आधारित फसल अनुमान प्रणाली (यस-टैब), वास्तविक समय में निगरानी और फसलों की फोटोग्राफी संकलन (क्रॉपिक) ऐसी कुछ प्रमुख पहलें हैं, जिन्हें योजना के तहत शुरू किया गया है, ताकि दक्षता व पारदर्शिता में बढ़ोतरी हो सके। वास्तविक समय में किसानों की शिकायतें दूर करने के लिये एक एकीकृत हेल्पलाइन प्रणाली का छत्तीसगढ़ में परीक्षण हो रहा है।
****
+ There are no comments
Add yours