भोपाल (IMNB). जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग और विभागीय प्रमुख सचिव श्री संजय दुबे एवं विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों की लगातार मेहनत के चलते आज मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन में न केवल देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है बल्कि यहाँ तमाम बड़ी परियोजनाओं में काम हो रहा है। देश और विदेश के निवेशक मध्यप्रदेश की ग्रीन परियोजनाओं में निवेश करने के इच्छुक हैं। राज्य मेगा उद्योगों के लिये अनुकूलित पैकेज के साथ अक्षय ऊर्जा उत्पादक कम्पनियों को आकर्षक प्रोत्साहन देता है। प्रोत्साहन नीति में राज्य बिजली शुल्क और ऊर्जा विकास उपकर में भी छूट प्रदान करता है। विश्व की सबसे बड़ी सौर परियोजनाओं में से एक रीवा सौर परियोजना को प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा जुलाई 2020 को राष्ट्र को समर्पित किया जा चुका है। विश्व की सबसे बड़ी 600 मेगावाट की ओंकारेंश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना के प्रथम चरण (278 मेगावाट) का कार्य भी प्रारंभ हो चुका है। हाल ही में मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को इस योजना के लोकार्पण के लिये आमंत्रित किया गया है।
देश और विदेश के हरित ऊर्जा उत्पादन में तेजी से अपनी पहचान बना रहे मध्यप्रदेश ने पिछले चार वर्षों में अनेक उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। आगर-शाजापुर-नीमच सौर परियोजना (1500 मेगावाट) विकास कार्य प्रारंभ हो चुका है। इसके लिये बिड में देश की सबसे न्यूनतम दर रूपये 2.14 प्रति यूनिट मिली है। प्रदेश में देश की अद्वितीय नवकरणीय ऊर्जा नीति 2022 बनी है। इसमें ग्रीन हाईड्रोजन, पम्प हाईड्रो, सोलर विन्ड हाईब्रिड आदि के लिये विशेष प्रावधान किया गया है।
यहीं नहीं 2950 मेगावाट की ओंकारेश्वर, छतरपुर और मुरैना परियोजना का तकनीकी अध्ययन पूरा हो चुका है। किसानों के यहाँ अब तक 20 हजार 787 सोलर पम्प स्थापित किये जा चुके हैं। प्रदेश में देश में सर्वाधिक 142 मेगावाट की कुसुम “स” परियोजनाओं के विकासकों का चयन हुआ है। कुसुम “अ” में 90 मेगावाट की परियोजनाओं के साथ अनुबंध में मध्यप्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर है। इनमें से 3 मेगावाट की क्षमता टीकमगढ़ और सागर में स्थापित है।
ऊर्जा साक्षरता का अनूठा पाठ पढ़ाने वाला भी मध्यप्रदेश देश का अकेला राज्य है। अब तक लगभग 14 लाख नागरिक जुड़ चुके हैं। जागरूक होते प्रदेश का प्रमाण है कि अब तक कुल 36 मेगावाट के रूफटॉप सौर संयंत्र विभिन्न शासकीय, संस्थागत और घरेलू उपभोक्ताओं के द्वारा 3500 से अधिक परिसरों में स्थापित किये जा चुके हैं। प्रदेश की पहली 750 मेगावाट सोलर विंड हाईब्रिड परियोजना की निविदा स्वीकृति की प्रक्रिया में है। मई 2023 तक प्रदेश की पहली सोलर सिटी साँची का क्रियान्वयन भी शुरू हो जाएगा।
मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाओं के साथ एक समृद्ध प्राकृतिक संसाधन का आधार भी उपलब्ध है। जलवायु परिस्थितियाँ पवन और सौर ऊर्जा के अनुकूल हैं। राज्य में 820 मेगावाट लघु पनबिजली, 11 गीगावाट पवन, 61 गीगावाट सौर और 11 गीगावाट बायोमास ऊर्जा की क्षमता है। मध्यप्रदेश सौर विकिरण के उच्चतम स्तरों में से एक को प्राप्त करता है। इससे यह सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिये देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में से एक बन गया है। इसकी सौर क्षमता 6.2 KWh/वर्गमीटर/दिन तक है। लगभग 3 हजार मेगावाट सकल पवन क्षमता है। बायोमास की क्षमता लगभग 1400 मेगावाट है।
मध्यप्रदेश ने चंबल क्षेत्र में सौर ऊर्जा संयंत्र के निर्माण सहित नवकरणीय स्त्रोतों से वर्ष 2030 तक पड़ोसी राज्यों को 20 हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा प्रदाय का लक्ष्य निर्धारित किया है। बीएचईएल के सहयोग से भारतीय रेलवे द्वारा प्रदेश के बीना में अपनी तरह की पहली सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की गई है। इससे रेलवे ईंजनों को सीधे सौर ऊर्जा प्राप्त होगी।
मध्यप्रदेश ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर का हिस्सा है। विभिन्न स्त्रोतों से लगभग 30 गीगावाट ऊर्जा क्षमता का दोहन करने के लिये राज्य में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’, सहायक नीतियाँ, नियामक वातावरण, बिजली उपयोगिता और परियोजनाओं के विकास में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रमुख निवेशकों में महिन्द्रा सस्टेन, स्प्रिंग एनर्जी, एथेना, एसीएमई सोलर, अवाडा, ग्रीनको, ओ टू पावर प्रा.लि., एनटीपीसी, सोलर अराइस, टाटा पावर, आईनॉक्स विन्ड, क्षेमा पावर एन्ड इन्फ्रा-स्ट्रक्चर कम्पनी शामिल है।
विश्व बैंक और डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एण्ड इंटरनल ट्रेड के अनुसार मध्यप्रदेश ने EODB में ‘अचीवर्स’ श्रेणी हासिल की है। निवेशकों के अनुकूल नीति, पारदर्शिता और व्यवसाय के लिये उपयुक्त वातावरण ने देश-विदेश के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों को निवेश के लिये आकर्षित किया है। मध्यप्रदेश ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट 2023 का 7वां संस्करण 11 जनवरी 2022 को इंदौर में होने जा रहा है। इसमें नवकरणीय ऊर्जा और निवेश के अवसरों को चिन्हित करने के लिये अक्षय ऊर्जा पर सत्र भी होगा।
+ There are no comments
Add yours