जगदलपुर, 09 जनवरी 2023/ इंद्रावती नदी में सतसपुर और धर्माबेड़ा के बीच सेतु निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है। इसके साथ ही बिन्ता और ककनार क्षेत्र के लोगों के बरसों पुराने सपने के साकार होने का समय निकट आ गया है। इंद्रावती नदी के दोनों बसे आठ ग्राम पंचायत बसे हैं, नदी के एक छोर पर बिन्ता, भेजा, करेकोट, और सतसपुर वहीं दूसरे छोर पर ककनार, पालम, चंदेला, धर्माबेड़ा। चारों तरफ ऊंची पहाड़ियों से घिरे इस क्षेत्र के बीचोंबीच बहती इंद्रावती नदी के कारण इस क्षेत्र की सुंदरता बहुत बढ़ जाती है, मगर इन्हीं पहाड़ों के कारण इस क्षेत्र में सड़कों का विकास काफी चुनौतीपूर्ण कार्य था। सड़कों के अभाव के कारण इस क्षेत्र के लोगों को बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा था। जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर आठ ग्राम पंचायतों के निवासियों को आने वाले समय में बारहोमासी आवागमन के सहुलियत होगी।
पहाड़ियों से घिरे इस क्षेत्र में सड़कों के विकास के साथ ही इंद्रावती नदी पर पुल बनाने के लिए भी इस क्षेत्र के लोगों ने लगातार प्रयास जारी रखा। क्षेत्रवासियों के विकास के प्रति असीम उत्कंठा के बीच कुछ विघ्नसंतोषियों द्वारा लगातार विकास कार्यों के विरोध के कारण इस क्षेत्र में सड़कों का विकास बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था। किन्तु आखिर में जीत उन्हीं लोगों की हुई, जो इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और विकास चाहते हैं और लंबे संघर्षों के बाद क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछते हुए देखा गया। इसके साथ ही क्षेत्र में बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में भी विकास कार्योंे में गति आई। अब इस क्षेत्र में मोबाईल नेटवर्क, बैंक आदि सुविधाएं भी मिल रही हैं, जिससे क्षेत्र के लोगों को कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है। इंद्रावती नदी पर पुल बनाने के बड़़़े सपने को साकार करने का जिम्मा मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गढ़बों नवा छत्तीसगढ़ का संकल्प उठाते हुए पुल निर्माण की स्वीकृति प्रदान की। अब सतसपुर और धर्माबेड़ा के बीच 24 करोड़ 26 लाख 39 हजार रुपए की लागत से 750 मीटर लंबे पुल का निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है। इस पुल के बनने से अब लगभग 15 हजार से अधिक क्षेत्रवासी बारह महीने बिना किसी बाधा के आवागमन कर पाएंगे। अब तक मात्र नाव के सहारे ही लोगों को आवागमन की सुविधा है, वह भी बरसात के दिनों में पुरी तरह बंद हो जाती है। इस पुल के बनने से बस्तर जिले के हर्राकोड़ेर, एरपुण्ड, बोदली के लोगों को भी आवागमन में सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही कोंडागांव जिले के मर्दापाल, कोड़ेनार कुदूर व नारायपुण जिले का ओरछा क्षेत्र भी आपस में जुड़ जाएंगे। वहीं बिनता से कोंडागांव की दूरी भी 50 किलोमीटर ही रह जाएगी, वहीं अभी कोेंडागांव पहुंचने के लिए बिनतावासियों को लगभग 95 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। इस सेतु के बनने से क्षेत्र में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार आदि क्षेत्र में भी विकास की गति बढ़ेगी।
पहाड़ियों से घिरे इस क्षेत्र में सड़कों के विकास के साथ ही इंद्रावती नदी पर पुल बनाने के लिए भी इस क्षेत्र के लोगों ने लगातार प्रयास जारी रखा। क्षेत्रवासियों के विकास के प्रति असीम उत्कंठा के बीच कुछ विघ्नसंतोषियों द्वारा लगातार विकास कार्यों के विरोध के कारण इस क्षेत्र में सड़कों का विकास बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था। किन्तु आखिर में जीत उन्हीं लोगों की हुई, जो इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और विकास चाहते हैं और लंबे संघर्षों के बाद क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछते हुए देखा गया। इसके साथ ही क्षेत्र में बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में भी विकास कार्योंे में गति आई। अब इस क्षेत्र में मोबाईल नेटवर्क, बैंक आदि सुविधाएं भी मिल रही हैं, जिससे क्षेत्र के लोगों को कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है। इंद्रावती नदी पर पुल बनाने के बड़़़े सपने को साकार करने का जिम्मा मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गढ़बों नवा छत्तीसगढ़ का संकल्प उठाते हुए पुल निर्माण की स्वीकृति प्रदान की। अब सतसपुर और धर्माबेड़ा के बीच 24 करोड़ 26 लाख 39 हजार रुपए की लागत से 750 मीटर लंबे पुल का निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है। इस पुल के बनने से अब लगभग 15 हजार से अधिक क्षेत्रवासी बारह महीने बिना किसी बाधा के आवागमन कर पाएंगे। अब तक मात्र नाव के सहारे ही लोगों को आवागमन की सुविधा है, वह भी बरसात के दिनों में पुरी तरह बंद हो जाती है। इस पुल के बनने से बस्तर जिले के हर्राकोड़ेर, एरपुण्ड, बोदली के लोगों को भी आवागमन में सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही कोंडागांव जिले के मर्दापाल, कोड़ेनार कुदूर व नारायपुण जिले का ओरछा क्षेत्र भी आपस में जुड़ जाएंगे। वहीं बिनता से कोंडागांव की दूरी भी 50 किलोमीटर ही रह जाएगी, वहीं अभी कोेंडागांव पहुंचने के लिए बिनतावासियों को लगभग 95 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। इस सेतु के बनने से क्षेत्र में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार आदि क्षेत्र में भी विकास की गति बढ़ेगी।
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