लाल लंगोटा हाथ में सोंटा मुख में बीड़ा पान गुढ़ियारी वाले हनुमान… महाराजश्री के मुखारविंद गाये इस भजन से झूम उठे श्रद्धालुगण

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रायपुर. श्री बागेश्वरधाम से पधारे परम पूज्य आचार्य श्री धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री जी के मुखारविंद से सात दिवसीय संगीतमयी श्री राम कथा के प्रथम दिवस श्रीराम-जानकी विवाह भूमिका सहित कई धार्मिक प्रसंगों का कथा वाचन महाराजश्री ने किया. गुढ़ियारी स्थित श्री हनुमान मंदिर का विशाल मैदान आज श्रद्धालुओं से पूरी तरह भरा हुआ था. कथा आरंभ के पूर्व बागेश्वर सरकार श्री हनुमान जी की पूजा आरती श्री धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री जी, महामहिम सुश्री अनुसूईया उईके, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत डॉ रामसुंदरदास जी, आयोजक ओमप्रकाश मिश्रा परिवार, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय सहित प्रमुखजनों ने की.
महामहिम सुश्री अनुसूईया उईके जी ने अपने उदबोधन में कहा कि पूज्य महाराजश्री धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री जी का छत्तीसगढ़ की धरा पर आगमन और उनके मुखारविंद से श्रीराम जी की कथा का वाचन हम सबके लिये बहुत ही गौरव की बात है. इस आयोजन के लिये आयोजकगण बधाई के पात्र हैं. भगवान श्री राम का जीवन आदर्श से परिपूर्ण है एवम् जीवन का मार्गदर्शन देता है. वे आदर्श पुत्र, भाई, शिष्य व राजा रहे हैं. महाराज जी की उन पर कृपा है. यू ट्यूब एवम् सोशल मीडिया के माध्यम से मैं उन्हें सुनती, देखती थी. बेहद कम उम्र में ही उन्होंने हजारों लोगों का आध्यात्म जगाया है. उन्हें देखकर ही लगता है कि भगवान अदृश्य शक्ति के रुप में हमारे मध्य उपस्थित रहते हैं. जो भगवान पर आस्था रखते हैं. भगवान उनका किसी ना किसी माध्यम से कष्ट का निवारण करते हैं. ईश्वर की शक्ति महाराजश्री को प्राप्त हुई है, इसी कारण आपकी प्रसिद्धि हुई है और देश विदेश में आपके हजारों की संख्या में भक्त हैं. आप सामने वाले की मन की बात समझकर समस्या का निवारण करते हैं. यह ईश्वर की आप पर कृपा है.
आचार्य श्री धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री जी ने कथा का प्रारंभ बहुत ही कर्णप्रिय भजन से किया एवम् गुढ़ियारी के 400 वर्ष पुराने स्वयं भू हनुमान जी, छ. ग. में विराजमान माता कौशल्या, बम्लेश्वरी माता, दंतेश्वरी माता, भोरमदेव महादेव, राजीवलोचन प्रभु सहित सभी देवी देवताओं को उन्होंने स्मरण कर प्रणाम किया. उन्होंने माता कौशल्या, प्रभु श्रीराम एवम् छत्तीसगढ़ के निवासियों के मामा भांजे रिश्ते का भी कथा में उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि गुढ़ियारी वाले हनुमान जी का वार्षिक उत्सव हर वर्ष बड़े धूमधाम से मनाया जाता है परंतु इस वर्ष श्रद्धालुओं की उपस्थिति बताती है कि यह उत्सव अब तक का सबसे भव्य होगा. महाराजश्री ने आज की कथा में माता सीता जी एवम् उनके भाई प्रयागदास जी के भाई-बहन के राखी प्रेम के प्रसंग का भी वर्णन किया. माता सीता के मिथिला में बिताये जीवन वृतांत का वर्णन करते हुए महाराजश्री स्वयं बहुत भावुक हो उठे. उन्होंने कहा कि भगवान को आप जिस रुप में स्मरण करेंगे भगवान उस रुप में प्रगट होंगे. उन्होंने सहज भाव से भगवान भक्तों के चार प्रकार भी बताये. उन्होंने कहा कि भगवान खोजने से नहीं बल्कि उन पर खो जाने से मिलते हैं. उन्होंने धनुष यज्ञ और राजा दशरथ के संतान प्राप्ति यज्ञ पर भी अपने विचार रखे. असुरों से परेशान आचार्य विश्वामित्र द्वारा उनके पुत्र श्रीराम को मांगने के प्रसंग का भी उल्लेख किया जिसमें असुरों का वध एवम् धनुष यज्ञ प्रसंग था. श्राप से पत्थर बनी अहिल्या एवम् प्रभु श्री राम के चरण रज से उनकी मुक्ति का वृतांत भी सुनाया. कथा के बीच-2 में महाराजश्री द्वारा सुमधुर भजन ले उपस्थित हजारों श्रद्धालु भजन गाते हुए झूम उठते थे.

लाल लंगोटा, हाथ में सोंटा, मुख में बीड़ा पान, गुढ़ियारी वाले हनुमान….!!

एवम् मैथिली गीत-

त्रिभुवन विधित अवध जीकर नौवाल बड़ा नीक लागे….!!

आदि अनेक सुमधुर भजन ने पूरे पंडाल में अदभूत माहौल बनाया.
कार्यक्रम के आरंभ में महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उईके जी, राजेश्री महंत डॉ रामसुंदरदास जी, संसदीय प्रणाली श्री विकास उपाध्याय जी को आयोजक ओमप्रकाश-अल्का मिश्रा, संयोजक संतोष सेन, बसंत अग्रवाल, सौरभ मिश्रा आदि ने स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया. आरंभ में कार्यक्रम का संचालन महाराजश्री के निज सहायक नितिन चौबे जी ने किया. कार्यक्रम में प्रमुख रुप से हनुमान मंदिर के प्रमुख ट्रस्टी रतनलाल गोयल, शैलेन्द्र दुग्गड़, मीडिया प्रभारी नितिन कुमार झा, महेश शर्मा, विनोद अग्रवाल, विजय जडेजा, हेमेन्द्र साहू, प्रकाश महेश्वरी, दुर्गा तिवारी, श्याम द्विवेदी, मनीष तिवारी, अरुण मिश्रा अजय शुक्ला, अभिषेक अग्रवाल, चन्द्रप्रकाश शर्मा, प्रकाश महेश्वरी आदि सैकड़ों सेवक सक्रिय रहे.

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