‘स्थिति सुधरी तो क्यों काटेंगे टिकट ? स्थिति नहीं सुधरी तो पार्टी तय करेगी।’ कुछ दिन पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दिये इस बयान ने कईयों की नींद हराम कर दी। सही भी है। ये भी सही और वो भी सही। मुख्यमंत्री का कहना भी सही है… एक तो स्थिति उतनी अच्छी नहीं है और जो इस बात को समझते हैं कि उनकी स्थिति खराब है, उनकी स्थिति इस बयान से और खराब हो गयी है। यूं सरकार की स्थिति खराब है। चुनाव जीतने/सरकार बनाने के लिहाज से स्थिति के प्रति आज कांग्रेस आशान्वित नहीं है। असली योद्धा को निश्चिन्त होना भी नहीं चाहिये। मुख्यमंत्री भी अपनी जीत के लिये अत्यंत सावधानी से काम ले रहे हैं और इसी तारतम्य में उनका ये बयान सामने आया है वे इस बात को जानते हैं कि स्थिति में सुधार जरूरी है।
कोई कितना भी प्रयास करे अपने वायदोें को पूरा कर नहीं सकता। जनता की अपेक्षाएं अधिक होती हैं और सरकार की सामथ्र्य कम। ऐसे में सबको संतुष्ट नहीं किया जा सकता। टिकट क्यों काटेंगे के डायलाग ने तो सारे विधायकों की नींद उड़ा दी और जितना वर्तमान विधायक बेचैन हुए होंगे उतने ही कतार में लगे लोग खुश। एक की नींद निराशा और आशंका में इसलिये खराब हो रही है कि टिकट कट न जाए और दूसरे की नींद उम्मीद और उत्साह में इसलिये खराब हो गयी है कि कैसे अपने नंबर बढ़ाए जाएं।
कुर्सी पर बैठे लोगों के नंबर कम करने के लिये उनके ही सहयोगी लगे हुए हैं उनकी पार्टी और उनके आसपास के लोग खुद कुर्सी हथियाने के के लिये कमर कसे हुए हैं। ये साफ जानते हैं कि पार्टी तय करेगी मतलब बड़े नेता तय करेंगे, मुख्यमंत्रीजी तय करेंगे। पैसा भी तय करेगा। क्योंकि पैसों से टिकट मिलने का प्रचलन भी रहा है। हालांकि अबकी बार चुनाव काफी ‘टफ’ है इसलिये अब तक के परफाॅर्मेन्स पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।
एक तो देश में कांग्रेस की हालत पतली है। कभी आसमान मे ंचमकता सितारा आज धूल सने पत्थर की तरह नजर आ रहा है। अब इससे भी अधिक दुर्गति न हो इस बात के भरसक प्रयास किये जा रहे हैं। इसलिये सारे देश की कांग्रेस और सारे देश के कांग्रेसी इस बात को लेकर बेहद गंभीर हो जाएंगे कि छत्तीसगढ़ की सत्ता हाथ से न जाए। लेकिन एन्टी इन्कम्बैन्सी फैक्टर काम करता है। लिहाजा कुछ तो उसका नुकसान होगा। लेकिन कांग्रेस सरकार ने काम भी किया है और उससे अधिक उसका प्रचार भी किया है। दूसरी ओर चार साल तक आराम से रही भाजपा ने कई पराजयों का मुंह प्रदेश में देख लिया है। लेकिन अब आखिरी के साल में कमर कस कर भिड़ने को तैयार है। भाजपा के पास मोदी नाम की पतवार है जो हर चुनाव में पार लगाने के काम आ रही है। कुल मिलाकर दोनों ही पार्टियां जोरदार मुकाबले के लिये तैयार हैं। जनता इस दिलचस्प मुकाबले को देखने के लिये उत्सुक है। एक ही बात जो दोनों दलों के कार्यकर्ताओं/नेताओं में काॅमन है वो ये कि दोनों में ही टिकट के प्रति आश्वस्त कोई भी नहीं। सभी संशय में हैं। बड़े से बड़ा तुर्रमखान भी घबराया हुआ है। अपवादों की गिनती नहीं होती।
जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
उव 9522170700
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‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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