यदि हम पर्यावरण के प्रति अपने मौलिक कर्तव्यों को गंभीरता से लें तो जलवायु परिवर्तन का समाधान किया जा सकता है
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से ‘ परिवर्तन का उत्प्रेरक ‘ बनने को कहा, विश्वास व्यक्त किया कि भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा
उपराष्ट्रपति ने उपराष्ट्रपति निवास में एनएसएस दल के स्वयंसेवकों के साथ बातचीत की
जलवायु परिवर्तन की चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रभावी तरीके से ध्यान दिया जा सकता है अगर हम पर्यावरण के प्रति अपने मौलिक कर्तव्यों पर गंभीरता से विचार करें।
गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाले एनएसएस दल के स्वयंसेवकों के साथ परस्पर बातचीत करते हुए उपराष्ट्रपति ने समुदाय की बेहतरी के लिए छात्रों के प्रयासों की सराहना की। श्री धनकड़ ने एनएसएस दल में लड़कों तथा लड़कियों की समान संख्या की सराहना करते हुए कहा कि जेंडर का यह प्रतिनिधित्व विश्व स्तर पर भारतीयों के नेतृत्व वाले पदों पर भी दृष्टिगोचर होता है।
उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि भारत उत्थान के मार्ग पर है और यह अपने ‘ अमृत काल के अत्यधिक महत्वपूर्ण समय ‘ पर है। उन्होंने कहा कि युवाओं को वर्षों से अर्जित की गई भारत की प्रौद्योगिकीय उपलब्धियों, आर्थिक विकास तथा कल्याणकारी पहलों पर सही अर्थां में गर्व करना चाहिए। इस बात की सराहना करते हुए कि भारत हाल ही में विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत दशक के समाप्त होने से पूर्व तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
श्री धनकड ने छात्रों से अपने सपनों को साकार करने के लिए काम करने की अपील करते हुए कहा कि ‘ राष्ट्र आपकी ओर आशापूर्वक देख रहा है, आप पर निर्भर है और चाहता है कि आप @ 2047 में विकसित भारत की दिशा में हमारी यात्रा में परिवर्तन के उत्पे्रक बनें। ‘
गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों के लिए देश भर से 5 क्षेत्रीय शिविरों से चुने गए लगभग 200 स्वयंसेवकों ने उपराष्ट्रपति के साथ परस्पर बातचीत की। इन स्वयंसेवकों को लड़कों तथा लड़कियों के समान प्रतिनिधित्व के साथ उच्चतर शिक्षा के विभिन्न विषयों से लिया गया था। युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री श्री निशीथ प्रमाणिक तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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