रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आज संसद में पेश बजट को किसान विरोधी, गांव विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त बजट करार दिया है, जो आम जनता की मुसीबतें बढ़ायेगी और कॉरपोरेटों को और मालामाल करेगी। यह बजट देश में बढ़ती असमानता की खाई को और ज्यादा बढ़ायेगी।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने रेखांकित किया है कि इस बजट में मनरेगा आबंटन में 33% की, खाद्य सब्सिडी में 90,000 करोड़ रुपये की, उर्वरक सब्सिडी में 50,000 करोड़ रुपये की, पेट्रोलियम सब्सिडी में 7000 करोड़ रुपयों की, पीएम किसान फंड के आबंटन में 8000 करोड़ रुपयों की कटौती की गई है। ये सभी कटौतियां आम जनता के जीवन-स्तर में गिरावट लाएंगी, जबकि अमीरों की तिजोरी में कर रियायतों के रूप में 35000 करोड़ रुपये डालकर उन्हें और मालामाल किया गया है।
किसान सभा नेताओं ने कहा है कि बजट प्रस्तावों से न तो रोजगार का सृजन होने वाला है और न ही आम जनता की क्रय-शक्ति में कोई वृद्धि होने वाली है। इससे वैश्विक मंदी की पृष्ठभूमि में हमारे देश की अर्थव्यवस्था और गर्त में जाएगी।
किसान सभा ने मांग की है कि अधिक मजदूरी और रोजगार के अधिक दिनों के साथ मनरेगा आबंटन में वृद्धि की जाए, 5 किलो मुफ्त अनाज के साथ 5 किलो सब्सिडी वाला अनाज भी दिया जाए, खाने-पीने की चीजों और दवाओं समेत जरूरी वस्तुओं पर से जीएसटी वापस लिया जाए तथा अमीरों पर संपत्ति कर लगाया जाए।
किसान सभा ने आम जनता के सभी तबकों से इस जन विरोधी बजट के खिलाफ आवाज बुलंद करने की अपील की है। अखिल भारतीय किसान सभा बजट के जन विरोधी प्रस्तावों के खिलाफ देशव्यापी प्रतिरोध संगठित करेगी।
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