*बजट जनता को निराश करने वाला*
*बजट में महंगाई, बेरोजगारी कम करने के लिये कुछ भी नहीं है*
रायपुर/ 01 फरवरी 2023। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार के इस बजट में छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की धमक साफ दिख रही हैं भारतीय मिलेट संस्थान के गठन की बात की गयी है। छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन पहले से चल रहा राज्य में रागी, कोदो, कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित कर समर्थन मूल्य में खरीदी की जा रही है। मिलेट कैफे की स्थापना भी राज्य में हो गयी है। मिलेट उत्पादकों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है। इसके साथ ही राज्य की बहुचर्चित गोधन न्याय योजना को भी मोदी सरकार ने पूरे प्रदेश के लिये अपनाया है। देश भर में 500 गोधन संयंत्रों की स्थापना छत्तीसगढ़ मॉडल का विस्तारीकरण है। यह छत्तीसगढ़ मॉडल की गूंज है जो संसद में आम बजट में सुनाई पड़ी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार का 9वां बजट देश की जनता को निराश करने वाला है। इस बजट में आम आदमी को राहत देने वाला कुछ नहीं है। मोदी सरकार ने ज्यादा कमाई वालो के लिये बजट बनाया है। गरीब के लिये बजट में कुछ नहीं है। आकंड़ो की बाजीगरी और झूठ का पुलिंदा है। आयकर में छूट का दायरा भी भ्रामक है। 5 लाख से 7 लाख बढ़ाने पर जो तमाम तरीके निवेश की छूट पर होते थे जीवन बीमा, हेल्थ इंश्योरेंश, गृह ऋण छूट को इसमें बाहर कर दिया।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि महंगाई कम करने के लिये कुछ नहीं है, 2 करोड़ रोजगार कैसे आयेगा? किसानों की आय कैसे बढ़ेगा इस बजट में कुछ नहीं है। डीजल पेट्रोल पर एक्साईस कम करने कुछ नहीं किया। रसोई गैस की रेट कम नहीं होगी। यह बजट भ्रम फैलाने वाला तथा ठगने वाला है बजट से देश के लोगो को कोई फायदा नही होगा। मनरेगा के बजट में कोई बढ़ोत्तरी नहीं है। ऐसे में गरीबी कैसे कम होगी?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रेल्वे में प्राईवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाने की बात कर वित्तमंत्री रेल्वे के निजीकरण के हिडन एजेंडे पर कदम बढ़ा दिया है। रेल्वे में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली सुविधाये जो मोदी सरकार ने बंद कर दिया था उसकी बहाली के लिये कुछ भी नहीं है। रेल्वे में सीनियर सिटिजन को बंद की गयी। छूट और सुविधाओं की बहाली के लिये कुछ नहीं हैं।
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