देखा‚ मोदी जी के विरोधियों की एंटीनेशनलता आखिर खुले में आ ही गई। बताइए! अब इन्हें यह मानने में भी आपत्ति है कि अडानी की पोल-पट्टी खोलना‚ इंडिया के खिलाफ षड्यंत्र है। अडानी का नुकसान‚ इंडिया का नुकसान है। अडानी पर हमला‚ इंडिया पर हमला है। कह रहे हैं कि यह तो अडानी इज इंडिया वाली बात हो गई। देवकांत बरुआ ने फिर भी इंदिरा इज इंडिया कहा था‚ तब भी भारत ने मंजूर नहीं किया। अडानी इज इंडिया मानने का तो सवाल ही नहीं उठता है‚ वगैरह‚ वगैरह।
पर भैये, प्राब्लम क्या हैॽ अडानी को इंडिया ही तो कहा है‚ कोई पाकिस्तान-अफगानिस्तान तो नहीं कहा है। देशभक्त के लिए इतना ही काफी है। देशभक्त यह नहीं देखता है कि देश ने उसे क्या दिया है‚ वह तो इतना देखता है कि देश की भक्ति मेें वह क्या-क्या हजम कर सकता है! हजम करना मुश्किल हो‚ तब भी हजम कर लेता है। आखिर‚ देशभक्ति को तपस्या यूं ही थोड़े ही कहा गया हैॽ धोखाधड़ी को धोखाधड़ी‚ फर्जीवाड़े को फर्जीवाड़ा‚ ठगी को ठगी तो कोई भी कह देगा। असली देशभक्त तो वह है‚ जो ठगों की भीड़ में भी अपने देश के ठग को पहचाने और हाथ पकड़ कर कहे – ये हमारा है। देशभक्ति देश से की जाती है‚ ईमानदारी-वीमानदारी से नहीं। और हां! इंदिरा इज इंडिया को नामंजूर करने का उदाहरण तो यहां लागू ही नहीं होताॽ अव्वल तो इंदिरा जी पॉलिटिक्स में थीं‚ उनका अडानी जी से क्या मुकाबलाॽ दूसरे‚ वो पुराने भारत की बात है और ये मोदी जी का नया इंडिया है। नये इंडिया में अडानी इज इंडिया बिल्कुल हो सकता है।
नहीं, हम यह नहीं कह रहे कि नये इंडिया में मोदी इज इंडिया नहीं हो सकता है। फिर भी‚ अडानी इज इंडिया तो एकदम हो सकता है। बल्कि हम तो कहेंगे कि अमृतकाल में अगर मुगल गार्डन अमृत उद्यान हो सकता है‚ तो इंडिया दैट इज भारत‚ इंडिया दैट इज अडानी क्यों नहीं हो सकता है! एक बात और। कोई खिलाड़ी बाहर जाकर छोटा-मोटा पदक भी ले आए‚ तो उसके लिए इंडिया-इंडिया करने को सब तैयार रहते हैं। फिर‚ अडानी के लिए भक्तों का इंडिया-इंडिया करना कैसे गलत हैॽ वर्ल्ड में अरबपतियों की दौड़ में ब्रॉन्ज तो उन्होंने भी जीत कर दिखाया ही था।
+ There are no comments
Add yours