*प्रदेश में 10 फरवरी को मनाया जाएगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस
*प्रदेश में एक से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों और किशोरों को दी जाएगी कृमि की दवा*
*प्रदेश के 30 जिलों में कुल 88.59 लाख बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य*
*रायगढ़ एवं सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में एल्बेन्डाजॉल के साथ फाइलेरिया की भी दवा खिलाई जाएगी*
रायपुर. 9 फरवरी 2023. प्रदेश में 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव 10 फरवरी को इसका शुभारंभ करेंगे। वे रायपुर के सिविल लाइन स्थित अपने निवास कार्यालय में दोपहर 12 बजे बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाकर इस अभियान की शुरुआत करेंगे। 10 फरवरी को प्रदेश के 30 जिलों में एक वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को आंगनबाड़ियों, शासकीय स्कूलों, स्वास्थ्य केन्द्रों, अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों और तकनीकी शिक्षा संस्थानों में कृमि की दवा का सेवन कराया जाएगा। रायगढ़ और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में कृमिनाशक एल्बेन्डाजॉल के साथ फाइलेरिया की भी दवा खिलाई जाएगी। बच्चों व किशोरों के अच्छे स्वास्थ्य, बेहतर पोषण, नियमित शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए कृमिनाशक दवा देना आवश्यक है।
शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. व्ही.आर. भगत ने बताया कि प्रदेश के 30 जिलों में एक वर्ष से 19 वर्ष तक के 88 लाख 59 हजार बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को कृमिनाशक दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। रायपुर, गरियाबंद और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में बच्चों को पहले ही कृमि मुक्ति की दवा खिलाई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में शिक्षकों द्वारा एवं आंगनबाड़ियों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कृमिनाशक दवा एल्बेन्डाजॉल 400 एमजी की दवा का सेवन कराया जाएगा। जो बच्चे 10 फरवरी को दवा खाने से रह जाएंगे, उन्हें 15 फरवरी को मॉप-अप दिवस पर दवा का सेवन कराया जाएगा। कृमिनाशक दवा से बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर, एनीमिया की रोकथाम, बौद्धिक विकास तथा शाला में उपस्थिति में सुधार आएगा।
डॉ. भगत ने बताया कि कृमि मुक्ति के लिए एक वर्ष से दो वर्ष के बच्चों को कृमिनाशक दवा एल्बेन्डाजॉल की आधी गोली पीसकर, दो से तीन वर्ष के बच्चों को एक गोली पीसकर, तीन से पांच वर्ष के बच्चों को एक गोली चबाकर तथा छह वर्ष से 19 वर्ष के बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को एक गोली चबाकर पानी के साथ खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि कृमिनाशक दवा का सेवन बच्चों व किशोरों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। बच्चों के शरीर में कृमि के कारण कुछ सामान्य प्रतिकूल प्रभाव जैसे जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, पेट में हल्का दर्द और थकान का अनुभव हो सकता है। इसके अतिरिक्त जिन बच्चों को तीव्र कृमि संक्रमण होता है, उन्हें आमतौर पर कुछ अस्थायी प्रभाव भी हो सकते हैं, जिसे आसानी से स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्रों में ही देखभाल करते हुए ठीक किया जा सकता है। बच्चों एवं किशोरों में ये लक्षण पाए जाने पर उन्हें पीने का साफ़ पानी दें और उन्हें अपनी निगरानी में रखें।
*कृमि की दवा वर्ष में दो बार देना आवश्यक*
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रो में बच्चों को एक-एक अल्बेंडाजोल की टेबलेट खिलाई जाएगी। ऐसे बच्चे और किशोर-किशोरी जो स्कूल नहीं जाते हैं उन पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार पेट में कृमि होने के कई तरह की समस्या हो सकती है। ऐसे लक्षण के प्रति माता-पिता को जागरूक रहना चाहिए। कृमि के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता व खाने में रूचि घटती है। बच्चे पूरा भोजन तो करते हैं, लेकिन शरीर में नहीं लगता। एल्बेन्डाजॉल की गोली खिलाने से बच्चे एनीमिया का शिकार होने से बच सकते हैं। इससे मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है और बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। मानसिक और शारीरिक विकास के लिए एक वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाना जरूरी है।
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