राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के तहत भारत भ्रमण पर गतिमान पूर्वाम्नाय गोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने आज ग्राम रणवीरपुर में द्वारा विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने लगभग 15 हजार से अधिक की संख्या में प्रदेश के कोने-कोने से धर्मप्रेमी, श्रद्धालु एवं भक्तजनों को अपने आशीर्वचन से संबोधित कर मार्गदर्शन प्रदान किया। प्रातः 11 बजे स्कूल ग्राउंड, बाजार चौक रणवीरपुर में सुन्दरकाण्ड पाठ के साथ कार्यक्रम का भव्य शुभारम्भ हुआ तत्पश्चात उन्होंने धर्मसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम की आयोजक एवं भावना समाज सेवी संस्थान की संस्थापिका भावना बोहरा द्वारा संचालित निशुल्क मोबाइल हेल्थ पैथ लैब का शुभारम्भ भी किया और जनसेवा के प्रति उनके द्वारा किये जा रहे सामाजिक कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी। समायोजक आदित्यवाहिनी-आनंदवाहिनी, जिला कबीरधाम एवं समस्त धर्म प्रेमी, ग्रामवासी तथा क्षेत्रवासियों के विशेष सहयोग से यह आयोजन किया गया है।
इस अवसर पर राजनांदगांव के पूर्व सांसद अभिषेक सिंह ने भी धर्मसभा में शामिल होकर शंकराचार्य जी के आशीर्वचन का श्रवण किया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के ध्वज वाहक शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के नेतृत्व में हमारे देश में हिन्दू संस्कृति,सभ्यता एवं उसके गौरवशाली इतिहास जन-जन तक पहुँच रहा है। सनातन धर्म के मूल तत्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान, जप, तप, यम-नियम आदि हैं जिनका शाश्वत महत्व है। अनादिकाल से चली आ रही हमारी परंपरा और सभ्यता ही हमारी पहचान है और हमारी आने वाली पीढ़ी को उसके प्रति जागृत करने हेतु गुरुदेव जी द्वारा राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के तहत जनजागरूकता लाने का जो प्रयास किया जा रहा है वह हमारे लिए अनुकरणीय है और हमें जीवन पथ में सदैव मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे।
कार्यक्रम की आयोजक भावना बोहरा ने स्वागत सन्देश में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जहाँ संत समागम होता है वह जगह अपने आप में पवित्र हो जाता है और जहाँ साक्षात् शंकराचार्य भगवान जी का पदार्पण हो रहा है यह हम सभी सनातनियों के लिए परम सौभग्य की बात है। हम गुरुदेव के आभारी हैं की उनके द्वारा देश विदेश में भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के गौरवशाली इतिहास, अखंड भारत के उद्देश्य को जन-जन में जागरूकता फ़ैलाने का अनुकरणीय कार्य कर रहें हैं। अपने अशिर्वाचानों से उन्होंने जिस प्रकार सनातन धर्म की महिमा और हिन्दू धर्म की व्याख्या की है वह हमें आजीवन प्रेरणा प्रदान करता रहेगा। हम सभी राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के साथ अधिक से अधिक जुड़कर सनातन धर्म के प्रचार में अपनी सहभागिता निभाते हुए हिन्दू राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें। मैं बहुत ही अभिभूत हूँ कि आज शंकराचार्य जी का आगमन हमारे ग्राम रणवीरपुर में हुआ है उनके आगमन से सभी में एक नई उर्जा का संचार हुआ है। उन्होंने शंकराचार्य जी के दर्शन हेतु कबीरधाम जिले सहित प्रदेश के कोने-कोने से पधारे सभी धर्मप्रेमी, भक्तजन का स्वागत कर आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में पधारे महंत श्री राजीव लोचन दास जी महाराज एवं संत श्री बालक दास जी महाराज ने भी धर्मसभा को संबोधित करते हुए सनातन धर्म की रक्षा हेतु अपने विचार रखे और शंकराचार्य जी के दर्शन लाभ लिया।
शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी ने आध्यात्म और राष्ट्रीयता का सन्देश देते हुए श्रीमद्भागवत गीता के अध्यायों का वर्णन करते हुए मनुष्य को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि मानव जीवन भोगने के लिए नहीं मिला अपितु अच्छे कर्म करते हुए भक्ति अथवा ज्ञान मार्ग के द्वारा स्वयं को जानने के लिए प्राप्त हुआ है। जिसका जन्म हुआ है उसका मरण भी निश्चित है, किन्तु हम मोक्ष प्राप्त कर इस चक्र से छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिए मनुष्य को स्वयं को शरीर नहीं बल्कि खुद को आत्मस्वरूप में पहचानना चाहिए। सृष्टि परमात्मा में मन लगाने के लिए है। जब तक सृष्टि में मन समाहित नहीं होता तब तक जीव कल्याण संभव नहीं। उन्होंने भगवान के अस्तित्व को चुनौती देने वालों को बताया कि विश्व में जल नहीं होता तो प्यास नहीं लगता, भोजन नहीं होता भूख नहीं लगती। इसी प्रकार मृत्यु न होती तो सच्चिदानंद नहीं होते जो नश्वरता से परे हैं। धर्मपरिवर्तन मामले को लेकर कहा कि हिदू धर्म के पिछड़े हुए लोगों को गुमराह करके उनका धर्मान्तरण किया जा रहा है। लेकिन वहां जाने के बाद भी वे लोग पिछडे हुए ही है। तो उनका धर्म परिवर्तन कराने से क्या लाभ मिला।
उन्होंने कहा है कि देश की युवा पीढ़ी और पत्रकार अखंड भारत के निर्माण में बड़ी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। सनातन धर्म , दर्शन, ज्ञान, विज्ञान से भोग की प्राप्ति नहीं होगी यह भ्रम युवा पीढ़ी में गलत घर कर गया है। धर्म सदैव सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय की ही प्रेरणा देता है, जिसमें सभी प्राणी मात्र का कल्याण छुपा होता है। इसी सर्वजन हिताय धर्म का पालन करते हुए ही भारत अखंड हिंदू राष्ट्र बनेगा। देश के सुप्रसिद्ध गुरुकुलों को नष्ट कर सनातन शिक्षा पद्धति पर कुठाराघात किया गया है। लगातार ब्राह्मण को पथभ्रष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने वेदों तथा ऋषि मुनियों की रचनाओं के प्रचार प्रसार तथा स्कूली शिक्षा में वैदिक व नीति शास्त्र की शिक्षा को अनिवार्य करने की आवश्यकता बताई। शंकराचार्य जी ने कहा कि श्रृष्टि का निर्माण क्षिति ,जल, पावक, गगन, समीर से बताया तथा ये पांचों अलग अलग गुणों से एक दूसरे से बंधे हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर द्वारा सर्वहित के लिए ही श्रृष्टि की संरचना की है। जब मानव सर्वहित के उद्देश्य से भटक कर कार्य करते हैं तभी पर्यावरण असंतुलित होता है इसलिए हमें अपने मन से लोभ की लालसा को मिटाकर सभी के हित में सोचने व कार्य करने की जरुरत है।
उनके उद्बोधन के दौरान हम भारत भव्य बनाएंगे, हम हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे के नारे से पूरा कबीरधाम जिला गुंजायमान हो गया। शंकराचार्य जी ने कहा कि हिंदू समाज के कमजोर होने से देश कमजोर होगा। हिंदुओं का सशक्त होना संसार के हित में हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने गौरव को फिर से स्थापित कर रहे हैं तो क्या गलत हैं। हमारी पंरपराओं और हमारे देवताओं को अपमानित करने वालों को करारा जवाब मिलेगा। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति संसार के उदगम के साथ ही शुरू हो गई थी। भारत सहित समूचे विश्व में सनातन धर्म की महिमा और उसके गौरवशाली इतिहास के प्रति लोगों में अलख जगाने के लिए शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी ने सभी से अहवाह्न किया की वे सभी हिन्दू राष्ट्र का संकल्प लें। उन्होंने कार्यक्रम की आयोजक भावना बोहरा को इस आयोजन हेतु आशीर्वाद भी दिया।
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