कोरबा। 13 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत की सभा को सफल बनाने के लिए छत्तीसगढ़ किसान सभा का प्रचार अभियान जोरों से चल रहा है। किसान सभा द्वारा आयोजित इस सभा को भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ और आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच से संबद्ध आदिवासी एकता महासभा का भी साथ मिल गया है। किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बादल सरोज, भूमि अधिकार आंदोलन से संबद्ध छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला के साथ आदिवासी एकता महासभा के राज्य सचिव बाल सिंह, किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते व सचिव ऋषि गुप्ता भी संबोधित करेंगे। हसदेव-सरगुजा क्षेत्र के किसानों के महासम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद टिकैत यहां गंगानगर में आयोजित सभा को शाम 5 बजे संबोधित करेंगे।
उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले में एसईसीएल का क्षेत्र भू-विस्थापितों के आंदोलन का गढ़ बन चुका है और पिछले दो सालों में छत्तीसगढ़ किसान सभा उनके बीच एक प्रमुख संगठन के रूप में उभरा है। यह संगठन एसईसीएल की उन नीतियों-नियमों पर लगातार सवाल खड़े कर रहा है, जिसके कारण खनन प्रभावित ग्रामीण खदान में अपनी जमीन जाने के बाद भी रोजगार से वंचित हो रहे हैं और अपनी आजीविका का साधन छीन जाने के बाद ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। भू-विस्थापितों के मुद्दों के साथ ही अब आदिवासी वनाधिकार तथा एनटीपीसी के राखड़ बांध से प्रभावित ग्रामीणों का मुद्दा भी जुड़ गया है। टिकैत के आने और किसान सभा के मंच से संबोधित करने से इन मुद्दों को और यहां के आंदोलन को और ज्यादा बल मिलने की संभावना है।
किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर और प्रशांत झा ने बताया कि ‘विस्थापन पीड़ितों की संघर्ष सभा’ को सफल बनाने के लिए पांच वाहन जत्थे घूम रहे हैं, जो नुक्कड़ सभाओं, ग्राम बैठकों और पर्चा वितरण के जरिये संघर्ष सभा की जानकारी ग्रामीणों को दे रहे हैं और सभा में आमंत्रित कर रहे है। किसान सभा की इस पहलकदमी का लोगों पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा है। सुमेन्द्र सिंह ठकराल, होरी के नेतृत्व में माईक प्रचार जत्था और रेशम यादव, दामोदर श्याम, हेम सिंह मरकाम, दिलहरण चौहान, मान सिंह कंवर, नंदलाल कंवर, दीपक साहू, गणेश बिंझवार, दीनानाथ, जय कौशिक के नेतृत्व में गांव-गांव में बैठक आयोजित कर पीड़ित विस्थापित किसानों को संघर्ष सभा के लिए एकजुट किया जा रहा है।
हाल ही में संयुक्त मोर्चा ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर फसल की सकल लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के सवाल पर फिर से देशव्यापी आंदोलन-अभियान छेड़ने की घोषणा की है। टिकैत के छत्तीसगढ़ प्रवास को इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है, जो ग्रामीणों और खेती-किसानी के मुद्दों को हल करने के लिए व्यापक किसान एकता का संदेश सब जगह पहुंचा रहे हैं।
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