रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग ने पृथ्वी के स्वास्थ्य और मिट्टी की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है”: श्री शिवराज सिंह चौहान
श्री चौहान ने कहा, प्रधानमंत्री श्री मोदी की प्राकृतिक खेती की पहल को अपनाना जरूरी
मुख्यमंत्री ने इंदौर में कृषि कार्यसमूह (एडब्ल्यूजी) की जी20 की पहली कृषि प्रतिनिधियों की बैठक (एडीएम) का उद्घाटन किया
नई दिल्ली (IMNB). मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि धरती के स्वास्थ्य की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है।
श्री चौहान ने आज इंदौर में कृषि कार्यसमूह (एडब्ल्यूजी) की जी20 की पहली कृषि प्रतिनिधियों की बैठक (एडीएम) के अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग ने पृथ्वी के स्वास्थ्य और मिट्टी की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसका मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।”
श्री चौहान ने पर्यावरण के अनुकूल तकनीक अपनाने पर बल देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किये गये प्राकृतिक खेती के अभियान को अपनाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “भारत सदियों से यह मानता आया है कि प्रकृति का दोहन नहीं होना चाहिए, हमें केवल प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करना चाहिए। प्राकृतिक संतुलन के लिए इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों का अस्तित्व भी जरूरी है।”
श्री चौहान ने कहा कि लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य सुरक्षा आज विश्व के सामने एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
उन्होंने कहा, “दुनिया की केवल 12 प्रतिशत भूमि कृषि के लिए उपयुक्त है। वर्ष 2030 तक खाद्यान्न की मांग 345 मिलियन टन होगी, जबकि वर्ष 2000 में यह मांग 192 मिलियन टन थी। स्पष्ट है कि न तो कृषि भूमि बढ़ने वाली है और न ही हमारे प्राकृतिक संसाधन बढ़ने वाले हैं।”
श्री चौहान ने कहा कि हमें कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भी समुचित प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा, “इसके लिए मशीनीकरण, डिजिटलाइजेशन, नई तकनीक और नए बीजों के उपयोग को लगातार बढ़ावा देना होगा।”
श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक दशक से मध्य प्रदेश में कृषि विकास दर में लगातार सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा, “इस प्रदेश ने देश की खाद्यान्न संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह प्रदेश तिलहन के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर रहा है। देश में सोया के उत्पादन में मध्य प्रदेश की 60 प्रतिशत भागीदारी है। मध्य प्रदेश देश में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है। हमने प्रदेश में उत्पादन बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है। इसमें सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य उल्लेखनीय है। वर्ष 2003 में प्रदेश में मात्र 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई थी। इसे बढ़ाकर अब हम 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का है। प्रदेश में उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीक और अच्छे बीजों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।”
श्री चौहान ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन लागत को कम करना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में किसानों को आवश्यक सहयोग देने, उत्पादन लागत कम करने और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी है। इस दिशा में नई किफायती तकनीक और मशीनीकरण के उपयोग से किसानों की मदद करने की पहल भी की जा रही है। किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की एक पहल किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को हर साल एक निश्चित राशि उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें मध्यप्रदेश ने भी अपनी राशि जोड़ी है। इसका उद्देश्य कृषि की लागत के मामले में किसान का सहयोग करना है।”
श्री चौहान ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा, “न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा भारत में लागू है। साथ ही, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों की मदद के लिए राज्य व केन्द्र सरकार भी सक्रिय है।”
श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एक अभियान के रूप में पारंपरिक पोषक अनाजों को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया है।
“प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा पोषक अनाजों को ‘श्री अन्न’ का नाम दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस वर्ष को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। आइए, हम सब मिलकर हरसंभव यह प्रयास करें कि ये पौष्टिक अनाज धरती से गायब न होने पायें।”
जी20 प्रथम एडीएम के मौके पर, श्री चौहान ने एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें पोषक अनाज पर विशेष जोर देते हुए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की क्षमता, उपलब्धियों और प्रगति को प्रदर्शित किया गया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टालों का दौरा किया और कृषि उत्पादों का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में पशुपालन और मत्स्य पालन स्टॉल के साथ-साथ पोषक अनाज और इसके मूल्य वर्धित खाद्य उत्पाद आकर्षण का केंद्र थे।
इसके बाद, तीन दिवसीय बैठक के पहले दिन दो अन्य कार्यक्रम: जी20 पहलों का जायजा लेना और खाद्य सुरक्षा पर जलवायु स्मार्ट कृषि पर वैश्विक मंच का आयोजन किया गया। प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ, इन कार्यक्रमों में विभिन्न संगठनों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति भी देखी गई।
परिचर्चाओं के बाद, दिन का समापन किसान मेला, लाइव काउंटर, डीआईवाई स्टॉल और सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसका प्रतिनिधियों ने खूब आनंद लिया, जिसने उन्हें स्थानीय संस्कृति और व्यंजनों के स्वाद से अवगत कराया। इससे पहले श्री चौहान ने संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया और मीडिया से रूबरू हुए।
इससे पहले, आज सुबह राजवाड़ा पैलेस में हेरिटेज वॉक के साथ दिन की शुरुआत हुई। यहां उपस्थित प्रतिनिधियों को महल के इतिहास के बारे में जानने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में होलकरों द्वारा किया गया था।
केंद्रीय नागर विमानन और इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कल सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इसके बाद कार्यक्रम में शामिल होने वाले सदस्यों तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सामान्य विचार–विमर्श होगा।
बैठक का तीसरा दिन कृषि कार्य समूह के प्रमुख उत्पादों पर विचार–विमर्श के लिए समर्पित रहेगा। दरअसल यह एक तकनीकी सत्र होगा, जिसमें सभी संबंधित सदस्यों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच चर्चा होगी और विचारों के आदान–प्रदान के साथ सहभागिता की जाएगी।
जी20 सदस्य देशों, अतिथि देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत आयोजित कृषि कार्य समूह (एडब्ल्यूजी) की तीन दिवसीय पहली कृषि प्रतिनिधि बैठक (एडीएम) में भाग ले रहे हैं। इसका आयोजन केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है।
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