“हाथ थामे रखना मंदिरों में , भक्तों पर व्ही आई पी भारी है,
खो ना जाऊं कही मैं , ये जिम्मेदारी तुम्हारी है ।”
” सुनत नई हे गा , डोलत नई हे गा , मोर पथरा के देवता बोलत नई हे गा ” देवेश शर्मा द्वारा गाया गया जस गीत को गुनगुना ही रहा था कि गोबरहीन टुरी बीच मे टोकते हुए कहती है – महराज तोला महाशिवरात्रि मा काली भोरमदेव के किस्सा मालूम हावय कि नही उहां महाशिवरात्रि मा कइसन पूजा होय हे , वो पूजा ल देखके आगे के लाइन ऐसे बनही जी –
” व्ही आई पी पूजा करत हे , मंदिर के पट खुलत नई हे गा।
भोले के गरीब भक्त फूल बेल पत्ता जल धरे खड़े हावय ,
मोर पथरा के देवता बोलत नई हे गा । ” गोबरहीन टुरी की तुकबंदी ने दिमाग की गुल बत्ती जला दी कि हमारे धर्म भीरू देश मे धर्म स्थलों की हालत क्या बना कर रख दी है धर्म के ठेकेदारों और नेताओं ने । भगवान के दर्शन के लिए भी व्ही व्ही आई पी , व्ही आई पी और आम जनता के लिए अलग अलग दरवाजे बना डाले है । मंदिरो में भगवन के दर्शन के लिए सर्कस जैसे गैलरी बना कर राशि वसूलना गलत लगता तो सबको है पर कहता कोई नहीं । दक्षिणा के नाम पर या कहे नोटों की चमक के आगे नतमस्तक होते मंदिरो मठो के कर्ताधर्ता और सरकारी नुमाइंदे क्यूँ भक्त और भगवन के बीच पैसे की दीवार बनाये खड़े रहते है समझ से परे है । लाखो खर्च कर हम जब किसी संत महात्मा का प्रवचन और ज्ञान की बाते सुनते है तो सभी भगवान के दरबार में सब सामान है कोई ऊंच नही कोई नीच नही का ज्ञान देते है, फिर ये भेद भाव क्यों और किसलिए है ? मंदिरों मठों में इस भेदभाव व गैलरी सिस्टम के खिलाफ बोलने लिखने कोई मठाधीस या समाज सेवी सामने नहीं आता क्यों भाई ?
मुझे आज भी अच्छे से याद है नानी हमेशा कहा करती थी बेटा “आत्मा के पुजारी बनो पत्थर के नही, भगवान के घर देर है पर अंधेर नही।” हम किसी की पूजा में रुकावट बनकर या किसी को दुख-दर्द, तकलीफ दे भगवान की पूजा से कैसे पुण्य प्राप्त कर लेंगे , क्या बाहर घण्टो लाइन में खड़े बच्चे बूढ़े की आत्मा दुखा , आह ले और गाली बकती भीड़ से भगवान का आशीर्वाद मिल जाएगा ? क्या हमारे भगवान की आंखों में भी कानून की देवी की भांति पट्टी बंधी हुई है ? वैसे भी आप जब किसी की अवैध कमाई या काम पर जैसे ही उंगली उठाएंगे वैसे ही आपको नास्तिक और आस्तिक की लड़ाई में उलझा आप पर धर्म विरोधी और सेक्युलर का ठप्पा लगा दिया जावेगा खैर बाबा सब देख रहा कौन कितना बड़ा भक्त और पुजारी है ।
और अंत मे :-
ठोकर ना लगा मुझे पत्थर नही हूँ मैं,
हैरत से ना देख कोई मंज़र नही हूँ मैं।
उनकी नज़र में मेरी कदर कुछ भी नही,
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल नही हूँ मैं।
#जय_हो 19 फरवरी 2023कवर्धा (कबीरधाम)
चंद्र शेखर शर्मा (पत्रकार)9425522015
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