छत्तीसगढ़ के प्रस्ताव पर जी.एस.टी परिषद की बैठक में ट्रिब्यूनल में दो न्यायिक सदस्य एवं दो तकनीकी सदस्य रखे जाने पर बनी आम सहमति

Estimated read time 0 min read

*राज्यों को भी मिलेगा ट्रिब्यूनल बेंच की संख्या निर्धारण का अधिकार*

*छत्तीसगढ़ की मांग पर 505 करोड़ रूपए की क्षतिपूर्ति राशि दिए जाने का निर्णय*

रायपुर, 19 फरवरी 2023/ वित्त एवं काॅर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित जी.एस.टी परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ की ओर से ट्रिब्यूनल में दो न्यायिक सदस्य एवं दो तकनीकी सदस्य (एक राज्य और एक केंद्र) रखे जाने का प्रस्ताव पर परिषद में आम सहमति बनी। इससे सहकारी संघवाद का समुचित ध्यान रखते हुए राज्यों को भी उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सकेगा। राज्यों को उनके भौगोलिक एवं अन्य परिस्थितियों के आधार पर ट्रिब्यूनल के बंेच की संख्या का निर्धारण का अधिकार भी होगा। यह प्रस्ताव वाणिज्यिक कर मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव रखा गया था। छत्तीसगढ़ द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि शीघ्र प्रदान करने की मांग की गई। कंेद्र शासन
द्वारा 505 करोड़ रूपए क्षतिपूर्ति राशि तत्काल दिये जाने का निर्णय लिया गया।
जी.एस.टी. परिषद की 49वीं बैठक 18 फरवरी को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित हुई। बैठक में कंेद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चैधरी व अन्य राज्यों के वित्तमंत्री, अधिकारीगण तथा छत्तीसगढ़ आयुक्त, वाणिज्यिक कर श्री भीम सिंह भी शामिल हुए।

बैठक में मुख्य मुद्दा जी.एस.टी. अपीलीय अधिकरण (ट्रिब्यूनल) का रहा। मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा मद्रास बार एसोसिएशन के प्रकरण में टीएनजीएसटी के ट्रिब्यूनल संबंधी प्रावधान को अवैधानिक घोषित करने के पश्चात अधिकरण संबंधी प्रावधान पर पुनर्विचार हेतु मंत्री समूह का गठन किया गया था। इस मंत्री समूह का प्रतिवेदन बैठक में प्रस्तुत किया गया।

तेंदूपत्ता पर जी.एस.टी. की दर को शून्य करने के उड़ीसा के प्रस्ताव पर मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ ने यथास्थिति रखने का समर्थन किया । पूर्व में परिषद की 22वीं एवं 37वीं
बैठक में दर अपरिवर्तनीय रखने के निर्णय एवं मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के अभिमत के आधार पर यथास्थिति रखने का निर्णय लिया गया। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार
की नीतियों के कारण तेंदूपत्ता संग्राहकों को देश भर में सर्वाधिक लाभ प्रदान किया जाता है। अधिकतम लाभ अंतरित किये जाने से कर का भार संग्राहको को वहन नही करना
पड़ता है साथ ही तेंदूपत्ता पर आरसीएम (रिवर्स चार्ज) होने से भी कर का भार शासन द्वारा वहन किया जाता है।

भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ प्रदेश द्वारा कर का भुगतान करने के पश्चात खरीदेे गये खाद, कृषि यंत्र आदि पर ऐसे आगत कर किसानों को भी देने (जैसा कि अन्य निर्माताओं को दिया जाता है) का प्रस्ताव दिया गया। उल्लेखनीय है कि आगत कर की पात्रता, पंजीयन एवं कर योग्य विक्रय होने पर ही होती है। पंजीयत एवं कर योग्य विक्रय नही होने से किसानों को आगत कर की पात्रता नही है। अतः छत्तीसगढ़ की ओर से इस प्रस्ताव को रूपांतरित किया जाकर किसानों द्वारा उपयोग किये जा रहे समस्त सामग्रियों को जी.एस.टी. से कर मुक्त रखने का प्रस्ताव परिषद के समक्ष रखा गया। जिसे विचारार्थ फिटमेंट कमिटी को पे्रषित किये जाने हेतु अनुशंसा की गई।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours