गैर छत्तीसगढ़िया कुलपति की नियुक्ति भाजपा का षड्यंत्र -कांग्रेस

Estimated read time 1 min read

*संघ की अतिवादी मानसिकता के कारण फिर छग का नुकसान हुआ*

रायपुर/22 फरवरी 2023। कांग्रेस ने पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में गैर छत्तीसगढ़िया कुलपति की नियुक्ति को भाजपा का षड्यंत्र बताया है। प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सुश्री अनुसुईया उइके की विदाई हुई जैसे ही वो हवाई अड्डा से उड़ी वैसे ही राजभवन के द्वारा आदेश सर्कुलेट किया गया जिसमें पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रो. सचिदानंद शुक्ला जो अवध विश्वविद्यालय के प्रोफेसर है उनको पं. रविशंकर विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया। एक बार फिर से छत्तीसगढ़ की प्रतिभा के साथ अन्याय हुआ। अनुसुईया उइके के कार्यकाल में छठवी नियुक्ति है कुलपति की जिसमें बाहरी व्यक्ति को नियुक्त कर दिया गया। छत्तीसगढ़ के प्रतिभा के साथ अन्याय किया गया। कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि दुर्भाग्यजनक बात है कि भारतीय जनता पार्टी इन बाहरी व्यक्तियों की नियुक्तियों के पीछे कहीं न कहीं प्रश्रय देती रही भारतीय जनता पार्टी के दबाव में ही यह नियुक्ति की गयी। भारतीय जनता पार्टी का छत्तीसगढ़िया विरोधी चरित्र एक बार फिर से सामने आया है। हमारा यह भी आरोप है कि अनुसुईया उइके का जब ट्रांसफर हो गया तो किस नैतिकता से उन्होंने कल आदेश जारी करवाया? हालांकि आदेश में तिथि 14 तारीख है लेकिन हमारा सीधे-सीधे आरोप है बैक डेट में इस आदेश को पिछले तिथि में रात जारी किया गया है। उनका स्थानांतरण होने के बाद जारी किया गया है। यह छत्तीसगढ़ विरोधी कदम है। भारतीय जनता पार्टी इस मामले में अपना मत स्पष्ट करें। सुश्री अनुसूईया उइके के कार्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी जिस प्रकार से राजभवन को खिलौना बनाकर रखा था। उसी का नतीजा है कि एक बार फिर से छत्तीसगढ़िया ठगा गया। इसके पहले आदिवासियों के लिये, अन्य वर्ग के लिये जो आरक्षण संशोधन विधेयक लाया गया था उसमें भी राज्यपाल ने कहा था वे हस्ताक्षर करेंगे, भारतीय जनता पार्टी के षड़यंत्र के कारण उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किया था। उनकी बिदाई हो गयी। आज भी आरक्षण विधेयक संशोधन राजभवन में अटका हुआ है। हम आने वाले महामहिम राज्यपाल जी से अनुरोध करते है कि जो नियुक्ति की गयी है पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में प्रो. सचिदानंद शुक्ला की उसको तत्काल रद्द कर दिया जाये और उसमें किसी स्थानीय प्रतिभा को, स्थानीय शिक्षाविद को कुलपति बनाया जाये। यह छत्तीसगढ़ियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है उसको बंद किया जाना चाहिये। राजभवन के अधिकारों के साथ, राजभवन के सम्मान के साथ मजाक किया गया है पिछले तिथि में आदेश निकाल कर उसका भी संशोधन किया जाना चाहिये। ताकि राजभवन की गरिमा बनी रहे।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours