।।अद्भुत संत समागम।।
स्वंभू भगवान श्री पञ्चमुखी बूढ़ामहादेव की अविरल कृपा से कृतकृत्य, महान त्यागी तपस्वी सन्तों की चरणधूलि से पावन हुई कवर्धा ( करपात्रीधाम ) की पुण्यभूमि में ब्रम्हलिन स्वामी करपात्री जी महाराज की परंपरा के संवाहक परम तपस्वी वीरव्रती यज्ञ सम्राट प्रबलजी शास्त्री महाराज के परम कृपापात्र शिष्य त्याग तपस्या की प्रतिमूर्ति स्वामी श्री त्र्यंबकेश्वर चैतन्यजी ब्रह्मचारी महाराज का आगमन हुआ।
सर्वप्रथम पूज्य स्वामी जी ने भगवान पंचमुखी बूढ़ा महादेव का सम्पूर्ण विधि विधान से पूजन किया ततपश्चात मंदिर प्रांगण में ही विगत 30 वर्षों से 24 घंटा रात दिन अनवरत चल रहे श्रीसीताराम संकीर्तन में सम्मिलित होकर हरिनाम संकीर्तन में लीन रहे ।
स्वामी श्री त्रयंबकेश्वर ब्रह्मचारी जी पैदल पैदल जानकीरमण देवालय में भी जाकर पूजन किये।इसके पश्चात पूज्य स्वामीजी को भक्त मंडली द्वारा श्रीहरि नाम संकीर्तन करते, सनातन धर्म का जयघोस के साथ माँ गंगाई मंदिर के दिव्य प्राँगण में रात्रि आठ बजे सुभागमन हुआ। स्वामी जी मां गंगाईं की पूजा अर्चन करते हुए सम्पूर्ण विश्व के कल्याण की कामना किए ।
कवर्धा की पुनीत पावन पुण्य धरा के मध्य में विराजित मां गगाई के परिसर में आयोजित कार्यक्रम स्थल में सर्वप्रथम श्रद्धालुओं ने पूजनकर पूज्य स्वामीजी के श्री चरणों में अपना भक्तिभाव अर्पित किया तथा पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया।
अपने प्रवचन में पूज्य स्वामी श्री त्रयम्बकेश्वर चैतन्यजी महाराज ने गोलोकवासी कवर्धा रियासत के राजपुरोहित पंडित अर्जुन प्रसाद शर्मा को अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि हम गौलोकवासी श्री अर्जुन शर्मा महाराज जी को श्रद्धांजलि देने आये हैं। एक व्यक्ति अपना सीमित साधनों एवम कर्मठ,जुझारू निष्ठावान सहयोगियों के सहयोग से कैसे अनेक प्रकल्पों को प्रारंभ किया और उसे अनबरत चला सकता है यह गौलोकवासी श्री अर्जुन महाराज से सीखा जा सकता है। उन्होंने अनेक सम सामयिक, प्रकृति की रक्षा सुरक्षा , नदी बचाओ , गौ वंश बचाने हेतु , समाज के मध्य सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्रकल्प चलाये जैसे प्रकृति एवम पर्यावरण को बचाने वृक्षारोपण महाअभियान, मां संकरी गंगा बचाओ उद्गम स्थल से प्रतिवर्ष पदयात्रा , श्रीसीताराम संकीर्तन, मां नर्मदा उद्गम से कवर्धा बोलबम कांवरी पदयात्रा, गोरक्षा अभियान, गौवंश रक्षार्थ गोशाला निर्माण, कार्यक्रम।
आगे प्रवचन में पूज्य महाराजश्री ने कहा कि भगवत प्राप्ति में चराचर जगत में सभी जीवों का समान अधिकार है भले ही जाती धर्म , उपासना पद्धति भिन्न हो सकती है। हमे अपने सतकर्मों से जीवन को सार्थक बनाने का सदैव प्रयास करते रहना चाहिये तभी मनुष्य योनि प्राप्ति की सार्थकता है ।
इसी बीच इस महती कार्यक्रम में श्री श्री 1008 श्री परम पूज्य दंडी स्वामी श्री विशुद्धानंद सरस्वती जी महाराज का दिव्य पदार्पण हुआ। उपस्थित धर्म प्रेमी श्रद्धालुओं द्वारा पूज्य दंडी स्वामी जी महाराज का भावपूर्ण यथा योग्य पूजन , स्वागत किया गया। तत्पश्चात पूज्य दंडी स्वामी श्री विशुद्धानंदजी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि हमें अपने सनातन धर्म का दृढ़ता पूर्वक पालन करना चाहिये।हमें दूसरों से कभी भी ईर्ष्या ,द्वेष नहीं करनी चाहिये। ही कभी भी असहाय, निर्बल को नहीं सताना चाहिये।हमें सनातन धर्म पर अडिग रहते हुए जीवन यापन करना चाहिये।
इस अभूतपूर्व ,अविस्मरणीय संतसमागम को देखकर सभा में उपस्थित सनातन धर्म अनुरागी सभी जन अत्यंत हर्षित हुये।
कार्यक्रम के अंत में गोलोकवासी श्री अर्जुन प्रसाद शर्माजी के निज निवास में पधारकर पूज्य स्वामी श्री त्रयम्बकेश्वर चैतन्य ब्रम्हचारी जी महाराज ने परिवारजनों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। ततपश्चात अपने गंतव्य दशरंगपुर (कवर्धा) के लिये प्रस्थान किया। उक्ताशय कार्यक्रम की जानकारी भरत साहू ने प्रदान किया ।
इस सम्पूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री आनन्द शर्मा, दीनानाथ शर्मा, संजय शर्मा, अमित शर्मा, बिरेन्द्र शर्मा, महेंद्र शर्मा, गोपी शर्मा, बृजकिशोर पाण्डेय, आशीष मिश्रा, प्रभात गुप्ता, संतोष गुप्ता, कन्हैया गुप्ता, सनत तिवारी, भागवत गुप्ता,दुर्गेश पाण्डेय एवम कवर्धा नगरवासी , मोहल्लावासियों का सराहनीय सहयोग रहा।
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