आदिवासी संस्कृति को साकार करती कला

Estimated read time 1 min read

ट्राइबल ज्वेलरी, पेंटिंग्स के साथ और भी बहुत कुछ है यहां

नई दिल्ली (IMNB). अगर आपने आदिवासी संस्कृति को निकट से नहीं देखा है तो आपको डॉ. करणीसिंह स्टेडियम में चल रहे 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में जरूरी आना चाहिए। इस कला के महासंगम में ठेठ ट्राइबल कल्चर की झलक जहां विभिन्न कलाओं में तो दिखेगी ही, इसके साथ—साथ हस्तकला के अनुपम आइटम्स में भी दिखाई देगी।

 

दरअसल, देश के जाने—माने झारखंड के आदिवासी क्षेत्र के दस्तकार संतू कुमार प्रजापति की स्टाल पर आदिवासियों के रोजमर्रा के काम में आनेवाली वस्तुएं देखी जा सकती हैं। बताते हैं ये वस्तुएं खुद आदिवासी कलाकारों द्वारा बनाई जाती हैं। उन्हें बढ़ावा देने के लिए जहां भी कला उत्सवों को आयोजन होता है, इन्हें प्रदर्शित करने के साथ ही इनकी बिक्री भी की जाती है। प्रजापति बताते हैं कि उनकी स्टाल पर जहां पूजन और सजावट वाली मेटल, खासकर पीतल की मूर्तियों से लेकर नेचुरल कलर्स से बनी पेंटिंग्स भी उपलब्ध हैं।

इस स्टाल पर मेटल की मूर्तियों में जहां देवी—देवताओं की प्रतिमाएं शामिल हैं, वहीं सजावट की खूबसूरत डिजाइंस की मूर्तियां भी हैं। खास बात यह है कि इन प्रतिमाओं की बारीक कारीगरी इन्हें और आकर्षक बनाती हैं।इसके अलावा जूट के थैले यानी बैग्स भी एक से एक बेहतरीन डिजाइंस में उपलब्ध हैं।

लुभाती है डोक्रा ज्वेलरी—

इस स्टाल पर आदिवासियों की डोक्रा ज्वेलरी भी विजिटर्स को लुभा रही है। यह गहने किसी कीमती धातु सोने या चांदी के नहीं बने हैं, बल्कि इन्हें टेराकोटा, धागों और रस्सी से बनाया गया है। इनमें गले के रंग बिरंगे हार के साथ—साथ कान की बालियां, कंठा आदि भी देखते ही आकर्षित करते हैं।

खूबसूरत पेंटिंग्स—

इस स्टाल पर उपलब्ध पेंटिंग्स नेचुरल कलर्स यानी मिट्टी, छाल आदि से बनी हुई हैं। इनमें पशु—पक्षियों के खूबसूरत चित्र उकेरे गए हैं। इन पेंटिंग्स को दो साइज में बनाया गया है। प्रजापति बताते हैं कि उनकी स्टाल पर रखी प्रत्येक वस्तु, एक तो आदिवासी संस्कृति से जुड़ी हुई है, दूसरे इनकी कीमत इतनी कम है कि कोई भी खरीद सकता है और अपने ड्राइंग रूम आदि की शोभा बढ़ा सकता है।

*****

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours