रविन्द्र भवन में हुआ शहादत का स्मृति प्रसंग
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्वतंत्रता हर इसांन का जन्मसिद्ध अधिकार है। शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को आज ही के दिन 1931 को फाँसी दी गई थी। वे भारत को आजाद होते देखना चाहते थे। उनके दिल में देश-भक्ति का ज़ज्बा और जुनून था। अंग्रेजों ने समय से पहले उन्हें फाँसी दी थी। वे फाँसी के तख्ते से भी इंकलाब जिंदाबाद का उद्घोष करना चाहते थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अमर शहीद क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की प्रतिमा भोपाल में लगाई जायेगी। इसके लिए मनुआभान टेकरी का चयन किया गया है। पहली से 12वीं तक की पाठ्य-पुस्तकों में उनके बलिदान की गाथा को पढ़ाया जायेगा, जिससे आगे आने वाली पीढ़ियाँ उनसे प्रेरणा ले सकें और देश-भक्ति की भावना से कार्य कर सकें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि तीनों क्रांतिवीरों को याद करने के लिए राज्य सरकार ने यह कार्यक्रम कराया है।
प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अमर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने शहीदों के परिजन का स्वागत कर स्मृति-चिन्ह, श्रीफल और अंगवस्त्र भेंट कर सम्मान किया।
शहीद भगत सिंह के परिजन श्री किरणजीत संधु ने कहा कि भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव का आज 92वां बलिदान दिवस है। भगत सिंह का जीवन एक विरासत के तौर पर था। उनके पूर्वजों ने भी अंग्रेजों से संघर्ष किया। भगत सिंह ने नौजवान भारत सभा का गठन किया था। उन्होंने अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए अनेक क्रांतिकारी कदम उठाए। स्वतंत्रता सेनानियों को अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने 114 दिन भूख हड़ताल की थी। परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद केप्टन विक्रम बत्रा के परिजन श्री गिरधारीलाल बत्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। शब्दयोगी श्री मनोज मुंतशिर शुक्ला ने अपने सांगीतिक दल के साथ देश-भक्तिपूर्ण प्रस्तुतियाँ दीं।
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