भारतीय वायु सेना की निगरानी, पहचान और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए परियोजनाएं
एमपीआर (अरुधरा)
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस रडार को स्वदेशी रूप से डिजाइन व विकसित किया है और इसका निर्माण बीईएल करेगी। पहले ही इसका सफल परीक्षण भारतीय वायु सेना कर चुकी है। यह हवाई लक्ष्यों की निगरानी और पता लगाने के लिए दिगंश व उन्नयन, दोनों में इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग के साथ एक 4डी मल्टी-फंक्शन चरणबद्ध एरे रडार है। इस प्रणाली में एक साथ स्थित चिन्हित मित्र या शत्रु प्रणाली से पूछताछ के आधार पर लक्ष्य की पहचान होगी। यह परियोजना औद्योगिक वातावरण में विनिर्माण क्षमता के विकास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी।
डीआर-118 आरडब्ल्यूआर
डीआर-118 रडार वार्निंग रिसीवर एसयू-30 एमकेआई विमान की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी करेगा। इसके अधिकांश उप-संयोजन और पुर्जे स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त किए जाएंगे। यह परियोजना एमएसएमई सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के साथ उसे प्रोत्साहित करेगी। इसके अलावा यह साढ़े तीन साल की अवधि में लगभग दो लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित करेगी।
डीआर-118 आरडब्ल्यूआर स्वदेशी ईडब्ल्यू क्षमताओं को विकसित करने और देश को रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
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