विपक्ष वाले भी गजब करते हैं। राहुल गांधी को जरा-सा संसद से बाहर क्या कर दिया गया, लगे और जोर-जोर से डैमोक्रेसी का मर्सिया पढऩे। उस पर इसका स्मार्ट उलाहना और कि राहुल गांधी ने जो-जो लंदन में कहा था, मोदी जी का राज वही-वही जम्बू द्वीपे, भारत खंडे में कर के दिखा रहा है। माइक बंद करने की बात कही, तो पूरी लोकसभा को ही म्यूट कर के दिखा दिया। मोदाणी पर बोलने नहीं देने की बात कही तो, संसद से बाहर ही करा दिया। अरे भाई संसद से बाहर ही तो किया है, जेल के अंदर तो नहीं किया है। मोदी जी को थैंक्यू नहीं देना है, तो न दो, पर कम से कम डैमोक्रेसी की मम्मी जी की बदनामी तो मत करो। वर्ना फिर मत कहना कि डैमोक्रेसी की मम्मी जी की मानहानि के लिए जेल कैसे हो गयी!
और हां! बाकी विपक्ष वालेे भी सुन लें, जो भी राहुल की तरह, डैमोक्रेसी की मम्मी की बदनामी करता पाया जाएगा, राहुल को तो फिर भी तीस दिन की मोहलत मिल गयी, सीधे मानहानि के लिए जेल जाएगा। इसे आखिरी चेतावनी समझा जाए और विपक्ष संभल जाए। चेतावनी राहुल को भी दी गयी थी। पहले चुप रहने को कहा, नहीं माना। फिर इस्तीफा मांगा, वह भी नहीं दिया। तब जाकर संसद से बाहर किया है और जेल तो अब तक नहीं भेजा गया है। विरोधी फिर भी हैरानी जता रहे हैं कि डैमोक्रेसी में ये कैसे हो गया! मोदी जी ने लाल किले वाले अपने पहले भाषण में ही वर्निंग दे दी थी — अब इंडिया को स्वच्छ करेंगे। बेचारे ने शुरूआत गांधी के हाथ में झाडू और खुले में दिशा-मैदान जाने वालों के लिए पुलिस के गैर-डंडे वाले हाथ में कैमरे थमाने से की थी, तो विरोधियों ने क्या समझा था कि स्वच्छता इतने पर ही रुकी रहेगी? अमृत काल में भी स्वच्छता गली-मुहल्लों-झाडिय़ों में ही अटकी रहेगी? अब संसद स्वच्छ होगी। बल्कि स्वच्छ होनी शुरू हो गयी है। अब तो जो भी बुरा देख-बोल, कर्कश शब्दों की गंदगी फैलाएगा, सस्पेंशन वगैरह कुछ नहीं, सीधे बाहर जाएगा।
और हां, सब एकदम नियमानुसार होगा। माफी की मांग, निष्कासन, जेेल, सब एकदम नियमानुसार होगा। नियम बदलने पड़े तो नियम भी बदले जाएंगे, पर सब होगा एकदम नियमानुसार। स्वच्छता मांगे नियम।
*(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)*
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