दाजी को केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने किया सम्मानित
लक्ष्य प्राप्ति हेतु कर्म के साथ अध्यात्म का पथ महत्वपूर्ण- तोमर
कर्म सही हो तो आत्मा को स्वतः ही शांति मिलती है- दाजी
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि श्री दाजी वो शख्सियत है जिन्हें हम अध्यात्म व विज्ञान का अग्रदूत कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, ऐसे महान साधक को अपने बीच पाकर कृषि बिरादरी धन्य है। श्री तोमर ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के विकास में भौतिक अधोसंरचना का तो महत्व होता ही है लेकिन समुच्य विचार करते हुए शरीर के साथ मन, बुद्धि, आत्मा को अच्छी तरह से एकीकृत करके समग्र विकास की कल्पना को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। संसार में सभी लोग सुख व प्रसन्नता की खोज में है लेकिन इन्हें प्राप्त के लिए जिन विधियों को अपनाया जाता है, वे अंतहीन है, इन्हें प्राप्त करना है तो कर्म के साथ अध्यात्म का पथ बहुत महत्वपूर्ण है। श्री दाजी में हम अध्यात्म व कर्म दोनों का समुच्य देख सकते हैं। उनका मार्गदर्शन, जीवनचर्या, दूरगामी सोच, प्रकृति से प्रेम और वसुंधरा के प्रति समर्पण, इन सबके प्रकाश में मार्ग खोजकर चलने का प्रयत्न करेंगे तो परम लक्ष्य की प्राप्ति के नजदीक तो पहुंच ही सकते हैं। श्री तोमर ने कहा कि श्री दाजी को हाल ही में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है, और भी अनेक पुरस्कार उन्हें पूर्व में मिले हैं, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ऐसी ही प्रतिभाओं को, प्रगतिशील किसानों को पूरा सम्मान दे रही है।
श्री तोमर ने कहा कि श्री दाजी की ज्यादा से ज्यादा कोशिश रहती है कि अधिकाधिक लोगों को जीवन मूल्यों का संदेश दे सकें। श्री दाजी के भीतर अध्यात्म व विज्ञान की छटा है, जिसे वे सबको बांटना चाह रहे हैं और इसमें सतत् जुटे है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कान्हा शांति वनम् के बीच भी एमओयू हुआ, जिसका फायदा सभी को मिल रहा है। श्री तोमर ने कहा कि कान्हा शांति वनम में श्री दाजी के प्रयासों से 1400 एकड़ बंजर भूमि अब हरित आवरण ओढ़े हुए है, साथ ही वे श्रेष्ठ जल प्रबंधन करके पानी की एक-एक बूंद बचा रहे हैं। वहां लगभग 130 देशों से लोग आकर ध्यान करते हैं। एक समय में 1 लाख लोग ध्यान कर सकते हैं और एक बार में 50 हजार लोग रह सकते हैं।
कार्यक्रम में श्री दाजी ने कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो विश्व की आध्यात्मिक नींव को परिपूर्ण और निर्मित कर सकता है। अध्यात्म के बिना कोई भी देश जीवित नहीं रह सकता। हमारे ऋषियों ने अनुभव किया था कि कण-कण में देवत्व का वास है। उन्होंने कहा कि धर्म व अध्यात्म में बहुत बड़ा अंतर है। धर्म में हम ईश्वर को अपने हृदय से निकाल देते हैं, इसलिए लोग ध्यान नहीं करते क्योंकि उनका विवेक उन्हें चुभता है। इसीलिए लोग ध्यान के दौरान परेशान हो जाते हैं। रोकथाम इलाज से बेहतर है। ध्यान आईने के सामने खड़े हो जाने जैसा है, जिसमें व्यक्ति का स्पष्ट चित्र प्रदर्शित होता है। श्री दाजी बोले- भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि हर कोई सुख चाहता है, लेकिन जिसके मन में शांति नहीं, वहां सुख कहां से मिलेगा, इसलिए ध्यान करें। ध्यान के माध्यम से पवित्रता द्वारा हमारे हृदय में सद्भाव लाना है। एक केंद्रित मन अखंडता लाएगा, ध्यान चमत्कार करता है लेकिन ज्यादातर लोग नहीं जानते कि यह क्या है। ध्यान के दौरान मन हमेशा विचारों में डूबा रहता है, जबकि ध्यान ईश्वर प्राप्ति के लिए होता है। ईश्वर प्राप्ति के लिए एक आंतरिक तलाश की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि कर्म सही हो तो आत्मा को स्वतः ही शांति मिलती है, वरना आत्मा हमें हताश कर देती है। एक बार हृदय शुद्ध हो जाए, तो ईश्वर को अवश्य ही आपके पास आना चाहिए। आपसे मिलने के लिए आपसे ज्यादा ईश्वर बेताब है। श्री दाजी ने कहा कि आज आप जो निर्माण करते हैं, वह भविष्य में आपका अनुसरण करेगा। आप इसे हार्टफुलनेस की सफाई तकनीक और ध्यान के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, उप महानिदेशक, (कृषि शिक्षा) डॉ. आर.सी. अग्रवाल तथा हार्टफुलनेस ध्यान से जुड़े श्री संजय सहगल, श्री यू.एस. बाजपेयी, श्री गजेंद्र सिंह, श्री ऋषभ कोठारी सहित अन्य गणमान्यजन तथा आईसीएआर व कृषि मंत्रालय के अधिकारीगण एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे।
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