राम नवमी वि​शेष: भगवान राम की कुंडली में है महायोगों की भरमार, 1 करोड़ 85 लाख वर्ष पहले हुआ जन्म, जानें कितने साल किए राज?

Estimated read time 1 min read

भगवान राम की कुंडली में 5 ग्रह उच्च राशि में विराजमान हैं.

 हाइलाइट्स

भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को दोपहर के समय में कर्क लग्न और कर्क राशि में हुआ था.
गुरु और सूर्य की अच्छी स्थिति के कारण प्रभु राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं.
पराक्रम भाव में राहु की उपस्थिति ने वीर और पराक्रमी बनाया.

इस साल राम नवमी का पर्व 30 मार्च गुरुवार को है. चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म हुआ था, इसलिए हर साल इस तिथि को राम नवमी का व्रत रखा जाता है और प्रभु राम की पूजा की जाती है. राम नवमी के दिन भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं कि भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को दोपहर के समय में कर्क लग्न और कर्क राशि में हुआ था. भगवान राम की कुंडली में पांच ग्रह उच्च राशि में विराजमान थे और चार ग्रह अपनी ही राशि में थे. प्रभु श्रीराम की कुंडली में महायोगों की भरमार है. दुनिया में आज तक किसी भी व्यक्ति की कुंडली में ऐसे योग नहीं बने हैं.

1 करोड़ 85 लाख साल पहले हुआ भगवान राम का जन्म
भगवान राम की कुंडली और वाल्मीकि रामायण में उनके जन्म के समय के ग्रहों की स्थिति को देख अनुमान लगाया जाता है कि भगवान राम का जन्म आज से 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 121 साल पहले हुआ था. भगवान राम जब अयोध्या के राजा बने, तब उन्होंने 11 हजार वर्षों तक राज्य किया.

रामचरितमानस में राम जन्म का वर्णन
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल।।
नौमी तिथि मधुमास पुनीता। सकल पुच्छ अभिजित हरिप्रीता।।
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥

इसका अर्थ है कि भगवान राम के जन्म के समय चैत्र माह, नवमी तिथि, शुक्ल पक्ष और अभिजित मुहूर्त था. अभिजित मुहूर्त दोपहर में होता है. मधुमास यानि उस समय न ज्यादा गर्मी और न ज्यादा सर्दी थी. वेदों में चैत्र माह को मधुमास कहा गया है.

भगवान राम की कुंडली

प्रभु श्री राम की कुंडली में गजकेसरी योग, महाबली योग, रूचक योग, हंस योग, शशक योग, कीर्ति योग, मालव्य योग, कुलदीपक योग, चक्रवर्ती योग जैसे श्रेष्ठतम योगों की भरमार है. डॉ. तिवारी बताते है कि भगवान राम की कुंडली देखी जाए तो कर्क लग्न और कर्क राशि की है. लग्न में चंद्रमा और गुरु हैं. पराक्रम भाव में राहु, माता के भाव में शनि, पत्नी भाव में मंगल, भाग्य भाव में शुक्र के संग केतु, दशम भाव में सूर्य और एकादश भाव में बुध है.

 

इसलिए बने मर्यादा पुरुषोत्तम
देखा जाए तो कुंडली के लग्न में बैठे गुरु नवमेश भी हैं और दशम भाव में उच्च राशि का सूर्य है. गुरु और सूर्य की अच्छी स्थिति के कारण प्रभु राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. वे हमेशा नीति के अनुसार काम किए. सूर्य के कारण प्रसिद्ध चक्रवर्ती सम्राट हुए.

इन ग्रहों से जीवन रहा संघर्षपूर्ण
कुंडली में शनि और मंगल की स्थिति के कारण ही भगवान राम का जीवन अति संघर्षशील रहा. माता भाव में शनि होने से मातृ सुख की कमी दिखी. भाग्य भाव में शुक्र के संग केतु का होना और उस पर राहु की दृष्टि के कारण वे राजकुमार और बाद में राजा होते हुए भी एक संन्यासी सा जीवन व्यतीत किया.

 16 वर्ष में भाग्योदय का शुभारंभ

कुंडली में बृहस्पति और चंद्रमा की शुभ स्थितियों से भगवान राम के भाग्योदय का शुभारंभ 16 वर्ष की अवस्था से हो गया और 25 वर्ष में पूर्ण भाग्योदय हुआ. पराक्रम भाव में राहु की उपस्थिति ने वीर और पराक्रमी बनाया.

प्रभु राम भगवान विष्णु के अवतार थे, लेकिन उन्होंने मनुष्य रूप में जन्म लिया, इसलिए उन पर भी ग्रहों का प्रभाव रहा. उन्होंने सभी प​रिस्थितियों में नीति का पालन करते हुए अपने जीवन में उच्च आदर्श स्थापित किए. इस वजह से वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए और आज भी उनकी पूजा होती है.

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours